DainikBalodNewsLIVE- आलू से सोना तो नहीं गोबर से बन रहे पैसे, पढ़िए कैसे? सुबह से लग रही किसानों की खेत के बजाय गौठान में दौड़, कोई टोकरी तो कोई बोरी में गोबर भरकर पहुंच रहा बेचने
बालोद। छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना अब जोर पकड़ने लगी है। सोशल मीडिया पर कांग्रेस के राहुल गांधी का एक वीडियो अक्सर चर्चाओं में रहती है। जिसमें वे कहते हैं हम ऐसी मशीन लाएंगे जिससे एक तरफ से आलू डालेंगे तो दूसरी तरफ से सोना निकलेगा। यह तो एक मजाक ही रह गया लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने ऐसा कमाल किया है कि जहां एक तरफ किसान गौठान में गोबर डाल रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके खाते से पैसे निकल रहे हैं। गोबर से पैसे कभी मिलेंगे यह किसी ने नहीं सोचा था पर गोधन योजना ने छत्तीसगढ़ में ऐसा बदलाव ला दिया है कि अब हर किसान सुबह-सुबह गोबर बेचने को आतुर हो गया है। गोधन योजना की जमीनी स्थिति देखने जब दैनिक बालोद न्यूज़ ने सुबह 7 से 9 बजे तक 2 घंटे गौठान में बिताए तो आंखों देखी इस तरह के नजारे सामने आए।
कोई टोकरी तो कोई बोरी में गोबर भरकर पहुंच रहा था
सांकरा ज गौठान में खरीदी के लिए समिति के लोग सुबह से ही आ गए थे। किसानों के आने का सिलसिला 7 बजे से शुरू हुआ। कोई टोकरी (झौहा) तो कोई बोरी में भरकर गोबर लेकर पहुंच रहा था। कोई साइकल तो कोई मोटरसाइकिल तक में गोबर को ढो रहे थे। मानो गोबर आज उनके लिए एक बड़ा धन साबित हो रहा है। बकायदा गौठान में इलेक्ट्रॉनिक तराजू का भी इंतजाम किया गया है। जहां पर इनकी खरीदी हो रही है। तत्काल एक-एक किसानों की लाए हुए गोबर को तौल कर रजिस्टर में एंट्री की जा रही है।
खास बात यह है कि गोबर खरीदी की रजिस्ट्री के लिए जनपद पंचायतों से अलग से रजिस्टर भी आया हुआ है। जिसमें एक-एक किसान ने रोज कितना गोबर बेचा है, ₹2 प्रति किलो के हिसाब से उसकी कुल राशि कितनी होती है, यह सब एंट्री हो रही है। इसमें खरीदी के आखिर में किसानों से हस्ताक्षर भी लिया जा रहा है और इसी हिसाब से ही उनके खातों में पैसा भी आएगा।
पहले से बेच रहे किसानों के खाते में आया पैसा
गोबर बेचने के लिए पहुंचे किसान मोहित साहू ने कहा कि वे शुरुआत से ही गोबर बेच रहे हैं। 5 तारीख को उनके खाते में पैसा आ चुका है। अब जो बेच रहे हैं उनका पैसा भी 15 दिन के भीतर आएगा तो कई किसान और भी प्रेरित हो रहे हैं जो दूसरे को देख अब खुद भी गोबर लेकर पहुंच रहे हैं। जो दिलचस्पी नहीं ले रहे थे वह भी अब दिलचस्पी दिखाने लगे।
मेरी तो बदल गई दिनचर्या
किसान सेवा राम साहू ने कहा कि वे खेती किसानी करते हैं कभी सोचे नहीं थे कि गोबर भी बेचना पड़ेगा। अब क्योंकि सरकार की योजना है इससे पैसा भी मिलने वाला है तो मैं भी सो कर उठते ही सबसे पहले गोबर बीनने का काम करता हूं। मेरी दिनचर्या ही बदल गई है। रोज सुबह 8 बजे गोबर लेकर चला जाता हूं।
अभी कर रहे इकट्ठा फिर खाद बनाएंगे
समिति के अध्यक्ष लाल बहादुर, सदस्य पंच भीमेश देशमुख ने बताया कि अभी किसानों से गोबर खरीदकर एक जगह इकट्ठा किया जा रहा है। इन्हें पहले खुले गड्ढे में जमा किया जाएगा। फिर इससे खाद बनाने के लिए समूह को दिया जाएगा। किसानों को कहा जा रहा है कि वे ज्यादा से ज्यादा गोबर बेचें। अब गोबर बेचने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ने लगी है। एक-एक किसान 50 से 150 किलो तक का गोबर बेचने पहुंचता है। यह नजारा देखकर अब तो हमें भी लगता है कि यह योजना पूरे गांव में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी जिसका असर अभी से दिखने लगा है।