Exclusive- ईश्वर की यह कैसी माया? 28 दिन पहले जिस घर से निकली थी बहन की डोली उसी घर से चार भाइयों ने निकाली बहन की अर्थी आमापारा के पाटिल परिवार की बेटी नूतन की मौत से वार्ड के लोग भी स्तब्ध, राखी पर्व से पहले बहन का साथ छूटा, देखिए वीडियो व फ़ोटो,,,
सिर दर्द के बाद परिजनों ने करवाया था भिलाई के अस्पताल में भर्ती, इलाज के दौरान हो गई मौत
बहन की अंतिम विदाई पर भी डोली की तरह भाइयों ने स्वर्ग रथ की गाड़ी को फूलों से सजाया तो दुल्हन की तरह बहन के शव को सजाकर निकाली अंतिम यात्रा
बालोद। बालोद शहर के आमापारा के रहने वाले पाटिल परिवार की बेटी नूतन की मौत बीती रात को कोहका भिलाई के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई। 30 वर्षीय नूतन की शादी ठीक 28 दिन पहले 24-25 जून को ग्राम कनेरी गुरुर ब्लॉक के रहने वाले सुनील कुमार कुर्रे से हुई थी।
17 जुलाई को ससुराल में ही सिर दर्द होने फिर हालत बिगड़ने के बाद उन्हें गुरुर से बालोद फिर बालोद से दुर्ग, दुर्ग के बाद भिलाई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उनका ऑपरेशन भी हुआ लेकिन 22 जुलाई की रात को नूतन ने दम तोड़ दिया। नूतन ना बोल सकती थी ना सुन सकती थी। मूक बधिर और श्रवण बाधित इस बेटी की एक ही ख्वाहिश थी कि उसकी शादी हो जाए। हाल ही में उसकी शादी हुई थी।
इससे नूतन सहित पूरा परिवार खुश था लेकिन इस खुशहाली को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि झटके भर में इस परिवार की बेटी सबसे दूर हो गई। आज जब आमापारा वार्ड से इस बेटी की अंतिम यात्रा निकाली गई तो वार्ड वासियों के आंसू भी छलक गए।
जिनसे इस बेटी का कभी कोई रिश्ता नहीं था वह भी इस बेटी की अंतिम विदाई को देख कर रो पड़े। क्योंकि यह दुख भरा क्षण ही ऐसा था कि जिस घर से 28 दिन पहले भाइयों ने बेटी को डोली में बिठाकर विदा किया था उसी घर से आज उन्हीं चार भाइयों ने अपनी लाडली बहन की अर्थी उठाई।
नगरपालिका के स्वर्ग रथ की गाड़ी को भी भाइयों ने डोली की तरह फूलों से सजाया था तो पूरे विधि-विधान के साथ बेटी को दुल्हन की तरह सजा कर अंतिम विदाई दी गई। मृतक नूतन बालोद पुलिस थाने में पदस्थ आरक्षक दीपक कुमार पाटिल व डौंडी लोहारा थाने में पदस्थ दीनानाथ पाटिल की बहन थी। इसके अलावा उनके दो और भाई रामेश्वर और हेमंत पाटिल है। पिता रामाधार व मां शिवकली पाटिल है।
ऐसे विदा हुई इस परिवार से बेटी
17 जुलाई को सुबह 11 बजे नूतन ने कहा कि उन्हें बहुत सिर दर्द हो रहा है फिर 2 बजे के बाद उसकी स्थिति बिगड़ने लगी। 3 बजे के बाद ज्यादा सीरियस होकर बेहोश हो गई तो आनन-फानन में कनेरी से परिजन उसे गुरुर के सरकारी अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उनकी बीमारी ना समझ कर इसे गंभीर केस बताते हुए जिला अस्पताल बालोद रेफर कर दिया। पर यहां भी इस बेटी का इलाज संभव ना हो पाया और डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। जब यहां से भी नूतन को दुर्ग रेफर किया गया तो उनके परिजनों ने कहा कि बालोद के डॉक्टर प्रदीप जैन को भी एक बार दिखा देते हैं। परिजनों ने डॉ प्रदीप जैन को फोन करके रास्ते में ही एंबुलेंस पास के पास बुलाया। उन्होंने भी चेकअप करके बताया कि स्थिति गंभीर है। इन्हें बी एम शाह अस्पताल ले चलो। वहां ठीक से इलाज हो जाएगा। उनके कहे अनुसार पहले परिजन नूतन को दुर्ग जिला जेल के पास स्थित उक्त अस्पताल में ले गए। लेकिन वहां भी स्थिति नहीं समझ डॉक्टर ऑपरेशन करने की बात कहने लगे। जिसमें लाखों खर्च बताने लगे।
ऑपरेशन के बाद भी नही बच पाई
परिजनों ने कहा कि इतने पैसे तो अभी नहीं है। वहां से भी उन्हें कोहका भिलाई के एक दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया। जहां इलाज हुआ उनका ऑपरेशन भी हुआ लेकिन यह बेटी मानो इतने दिनों के लिए ही आई थी। ऑपरेशन के बाद भी उसकी स्थिति में सुधार नहीं आया और बीती रात को वह दुनिया से अलविदा कर गई तो वहीं परिजनों ने उक्त प्राइवेट अस्पताल में इलाज के नाम पर लाखो रुपयों फीस वसूली पर भी सवाल उठाया कि आखिर 4 घंटे तक मेरी बहन को भर्ती रखा गया और अनाप-शनाप बिल वसूला गया। डॉक्टर बहन को तो बचा नहीं पाए और पैसा लाखों तक लिया गया।