देखिए स्वास्थ्य मंत्री जी आपके स्वास्थ्य विभाग में किस तरह कमीशन का खेल खेला जा रहा है एक माह बाद एक्सपायरी होने वाले लैब किट कैसे सप्लाई हो रहा है

सीजीएमएससी का कमीशन का खेला किसी से छिपी नहीं है चाहे मेडिसिन खरीदी हो चाहे भवन निर्माण में हो

दैनिक बालोद न्यूज/राजनांदगांव। एक तरफ छत्तीसगढ़ शासन आम जनता के सेहत के लिए बजट मेंछत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 1500 करोड रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है ताकि छत्तीसगढ़ के हर नागरिक का स्वास्थ का ख्याल रख सके उसी हिसाब से बजट पास हुआ है लेकिन छत्तीसगढ़ में शासन का इस बजट का उपयोग किस कदर स्वास्थ्य विभाग के बीड़ा उठाए प्रशासनिक अधिकारी कर रहा है ये आप समझ सकते हैं छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) के द्वारा अस्पताल के भवन और मेडिसीन का खरीदी का जिम्मेदारी है लेकिन सीजीएमएससी में बैठे अधिकारी कैसे शासन का रूपये को कमीशनखोरी में उड़ा रहे हैं इसका ताजा उदाहरण अनेकों बार पढ़ने सुनने में आता है लेकिन अभी का ताजा मामला सामने आया है एक माह बाद 21मार्च 24 को एक्सपायरी होने वाले किट का सप्लाई जिले के सभी अस्पताल जिसमें जिला अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पैथोलॉजी सेंटर में कंट्रोल किट का सप्लाई किया गया है जिसका उपयोग कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जांच के लिए हिमेटोलाॅजी भेजें है पैथोलॉजिस्ट व जानकार डाक्टर से बातचीत करने पर जानकारी मिली है कि जिस सप्लाई किट का एक किट का एक बार उपयोग करते हैं उसके 2 माह तक उपयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि किसी भी जांच के लिए एक कंट्रोल होता है उसी को जांच करने के लिए इस कंट्रोल रीजेंट का सप्लाई किया है एक कंट्रोल रिजेंट का मुल्य 12600 रूपये है जिससे एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 20 किट भेजा गया है जिसका किमत 252000 रूपये है एक किट का उपयोग होने के बाद 19 किट अगले महीने कचरे के ढेर में चला जाएगा आखिर एक माह बाद एक्सपायरी डेट का किट का भेजना क्या मजबूरी था या बड़ा कमिशन का खेला हो रहा है एक राजनांदगांव जिले के अंदाज लगा सकते जिले में 1 जिला अस्पताल 06सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है वही विभाजित जिले मिलाकर 03 जिला अस्पताल 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व 48 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है योग 63 अस्पताल है एक अस्पताल में 2 लाख 52 हजार रूपये का किट वितरण हुआ मतलब 63 अस्पताल का 2 लाख 52 हजार रुपये से गुणा करते हैं तो 1,58,76000 रूपये होता है वहीं छत्तीसगढ़ में 33 जिले का आप स्वत आंकलन कर सकते हैं । इससे पहले भी हिपैटाइटिस बी व एचआईवी किट की सप्लाई भी बड़ी संख्या में हुई है राजनांदगांव जिले के एक विकासखण्ड की बात करें तो टोटल जन संख्या एक लाख पैंसठ हजार के आसपास है लेकिन यहां पर हिपैटाइटिस किट लगभग 1 लाख 25 हजार के आस पास आया था इस किट को फ्रीज में 0 से 4 डिग्री सेल्सियस में रखना होता है लेकिन अधिक संख्या में किट पहुंचने व पर्याप्त मात्रा में फ्रिज न होने के कारण पिछले गर्मी में 40 से 45 डिग्री सेल्सियस में बाहर पड़ा रहा जिसके कारण पुरा किट खराब होने की जानकारी है ये सप्लाई पुरे छत्तीसगढ़ में सीजीएमएससी से हुआ था जब कोई भी सामान खरीदी होता है तो आवश्यकता अनुरूप उसका डिमांड पुछा जाता है लेकिन बिना किसी डिमांड के इस तरह सामग्री भेजकर कमीशनखोरी के चक्कर में बजट का चुना लगाकर बर्बाद कर रहे हैं। मुश्किल से 1500 से 2000 किट खर्च होता वहां इस तरह अनावश्यक रूप से किट भेजा जाता है।

एक ही कंपनी को बार बार मौका देने की बात सामने आ रहे हैं

सरकारी तंत्र में कोई भी खरीदी बिक्री करने के लिए बकायदा टेंडर प्रक्रिया जारी किया जाता है और टेंडर के बाद कोटेशन के आधार पर कम दर व गुणवत्ता की जांच के बाद कंपनी को सप्लाई का आर्डर दिया जाता है लेकिन दुर्ग के एक मोक्षित कार्पोरेशन नाम के कंपनी को बार बार टेंडर मिल रहा है समझ से परे है इससे पहले भी मोक्षित से बायो केमिस्ट्री मशीन,सीबीसी मशीन,ट्राई गिलिस्ट्राइट, कोलेस्ट्रॉल हिपैटाइटिस बी व अन्य सामग्री खरीदी एक ही कंपनी से हुई है । इससे पहले अन्य कंपनी से एचआईवी किट व हिमोग्लोबिन जांच किट सहित बड़ी संख्या में अनावश्यक रूप से भेजें जा चुके हैं वहीं एक व्यक्ति को बार बार टेंडर मिल रहा है कहीं ये कमीशन का खेल तो नहीं है किसी अन्य को मिल जायेगा खेल बिगड़ न जाए या सप्लायर किसी रसूखदार से ताल्लुक तो नहीं रखते ये जांच के बाद पता चल पाएगा। ये सब खरीदी पर उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि कमीशनखोर बेनकाब हो सके इस खेल में छोटे से लेकर बड़े मछली फंसने की संभावना है।

आवश्यक दवाईयां उपलब्ध नहीं हो पा रहा है
जिला अस्पताल में

जिस हिसाब से सीजीएमएससी कमीशनखोरी के लिए फिजुल चीजें खरीद रहे हैं भेज रहे हैं लेकिन आवश्यक दवाईयां नहीं भेज पा रहे हैं जिला अस्पताल में इलाज के लिए आ रहें गर्भवती माताओं को कैल्शियम आयरन मल्टीविटामिन के न तो टैबलेट मिल पा रहा है और नहीं सिरफ प्रतिदिन दवाई वितरण करने वाले फार्मासिस्टो को मरीजों के तान सुनना व कहासुनी झेलना पड़ रहा है।

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