ब्लैक फंगस ,व्हाइट फंगस ,एलो फंगस के बाद अब नया फंगस ग्रीन फंगस की पुष्टि आज इस शहर में हुआ है. कितना ख़तरनाक है हमारे लिए जानने के लिए पढ़ें दैनिक बालोद न्यूज
दैनिक बालोद न्यूज/डेस्क।देश में ब्लैक फंगस, व्हाइट फगंस, एलो फंगस का आतंक अभी थमा भी नहीं है कि अब ग्रीन फंगस (Green Fungus) ने दस्तक दे दी है. मध्य प्रदेश के इंदौर में ग्रीन फंगस का पहला मामला सामने इंदौर में ग्रीन फंगस होने की पुष्टि हुई है. फिलहाल देश के इस अकेले मरीज को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा है कि, मरीजे के फेफड़ों की जांच में एक हरे रंग का फंगस मिला है. इसी के आधार पर इसे ग्रीन फंगस (Green Fungus) नाम दिया गया है. गौरतलब है कि कोरोना के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस, वाइट फंगल, येलो फंगस के मरीज मिले है. लेकिन देश में यह पहली बार है जब कोई ग्रीन फंगस का मरीज मिला है।
ब्लैक से ज़्यादा खतरनाक है ग्रीन फंगसः
वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि ग्रीन फंगस (Green Fungus) ब्लैक फंगस (Black Fungus) से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है. इसके असर के कारण मरीज की सेहत तेजी से गिरती है. दिनों दिन मरीज की हालत बद से बदतर होती जाती है. फेफड़ों में मवाद भर जाता है. मल से खून आने की शिकायत होने लगती है. बुखार भी 103 डिग्री तक पहुंच जाता है।
ग्रीन फंगस के मामले बढ़े तो संभालना मुश्किलः जेकोरोना के बाद देश ब्लैक फंगस से जूझ रहा है. हर दिन इसके मरीजों की तादाद में इजाफा हो रहा है. ऐसे में अगर ग्रीन फंगस के मामले बढ़ते हैं तो एक बार फिर देश में बीमरो के साथ साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे. क्योकिं, ग्रीन फंगस कई मायनों में ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक है।
यह है पूरा मामलाः
दरअसल, इंदौर के इस मरीज को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था. जब वो कोरोना से रिकवरी कर गया तो पोस्ट कोविड लक्षणों के चलते उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान उसके फैफड़ों में हरे रंग का फंगस दिखा. डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के फेफड़े इस फंगस के 90 फीसदी तक संक्रमित हो चुके हैं. उसके दाएं फेफड़े में मवाद भर गया था. फेफड़े और साइनस में एसपरजिलस फंगस घर कर गया था. इसे ही ग्रीन फंगस कहा जा रहा है।