कैसे ठीक होगा मरीज जिला में बट रहा है गुणवत्ता विहीन दवाई आखिर भ्रष्टाचार का मुख्य जड़ कौन ???स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा ??पढ़ें

डां मिथलेश चौधरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पिछले सात वर्षों से एक ही जगह क्यों टीके हुए हैं

दैनिक बालोद न्यूज/ घनश्याम साव/ राजनांदगांव।सरकारी अस्पतालों में गुणवत्ता विहीन दवाओं का उपयोग किया जा रहा है प्रयोगशाला में इन दवाओं की नमूने जांच हुई है कि नहीं संदेह के कटघरे में दिख रहा है जिला के विभिन्न अस्पतालों से मेडिसिन खराब क्वालिटी का वितरण करने का मामला सामने आया है शुगर के लिए उपयोग में लाने वाले टेबलेट मेटाफारमिन 500 एम जी इतना घटिया क्वालिटी का है कि आप दवाई देखकर समझ सकते हैं दवाई में काले काले धब्बे लगे हुए वहीं टेबलेट का तोड़ने में इतना आसानी से टुट जा रहा है बहुत ही ज्यादा नमी युक्त है जैसे ऐसा लग रहा है उससे किसी पानी से डुबाकर निकाला गया हो ।इस दवाई का निर्माता क्यूस्ट लैबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड पितमपुर जिला धार मध्यप्रदेश है जिसका बैच नंबर टी 5337 है वहीं इसका मैनुफैक्चरिंग दिनांक मार्च 2022 व एक्सपायरी फरवरी 2024 है विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डोंगरगांव,अं चोकी डोंगरगढ़ सभी जगह से जानकारी लेने पर पता चला कि सभी जगह इसी तरह का घटिया क्वालिटी का मेडिसिन बट रहा है।

मेडिसिन को उपयोग में लाने से पहले विभिन्न पैरामीटर से गुजरना पड़ता है

किसी भी मेडिसिन को उपयोग में लाने से पहले उनको विभिन्न पैरामीटर से गुजरा जाता है ताकि किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स न हो शरीर पर इसका पुरा जांच होने के बाद दवाई मार्केट में उतारा जाता है लेकिन इस तरह गुणवत्ता विहीन दवाई खाने से क्या असर हो सकता है आप समझ सकते हो शुगर का दवाई शरीर में धीरे धीरे घुलकर शरीर के अंदर शुगर को कंट्रोल करता है लेकिन इस मेडिसिन से मुश्किल से एक से डेढ़ घंटे घंटे के बाद असर करना बंद हो जायेगा जिससे मरीज के उनके विभिन्न अंग फैल हो सकता है वहीं जान के लिए जोखिम भरा साबित हों सकता है।

इस भ्रष्टाचार का मुख्य जड़ आखिर कौन है???

इस तरह अनियमितता वाले मेडिसिन खरीदी में आखिर किसका हाथ है आखिर कमीशनखोरी का मोटी रकम कौन खा रहे हैं मेडिसिन अधिकतर तौर पर सीजीएमएससी से सप्लाई किया जाता है लेकिन इस मेडिसिन को जहां तक जिला स्तर से खरीदी किया गया है लगता है क्योंकि इस टेबलेट के कवर पर ग्रोमेंट सप्लाई नाट फार सेल अंकित किया गया है जिससे साफ जाहिर होता है कि सीजीएमएससी सप्लाई नहीं किया है ।वहीं एक तरफ मरीज को बेहतर इलाज के लिए शासन प्रशासन दावे करते हैं लेकिन इस तरह कमीशनखोरी के चक्कर में मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कौन कर रहा है क्या दोषियों पर जांच कर कार्रवाई करेंगे या जांच के नाम पर महिनों फायलों में घूमते रहकर गुमराह करके दोषियों को जीवनदान देते रहेंगे। वहीं जिले में सात सालों में कितने कलेक्टर का स्थानांतरण हो गया है कोई भी अधिकारी एक से दो सालों में इधर से उधर हों जातें हैं लेकिन डां मिथलेश चौधरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पिछले सात सालों से अंगद के पांव की तरह पैर जमाकर बैठे हुए हैं आखिर इस अधिकारी को क्यों नहीं हटा पा रहे हैं शासन प्रशासन ये चर्चा का विषय बना हुआ है।

टी एस सिंह देव स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर कहा कि

आप इस मामले को मुझे वाट्सअप पर भेजिए में देख कर इस पर जांच करवाता हूं।

डां मिथलेश चौधरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात करने पर मिटिंग में होने के बात कहते हुए क्या मामला है वाट्सएप पर भेजिए कहकर फोन काट दिया लेकिन हमारे द्वारा मामले के भेजने के बाद भी वाट्सएप का अब तक कोई रिप्लाई नहीं आया है संशय बरकरार है।

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