जिले में हर्षोल्लास के साथ माँ दुर्गा की मूर्ति हुई स्थापना, गंगा मईया मंदिर में की गई दीप प्रज्वलित।

बालोद/ नवरात्रि पर्व का प्रथम दिन शनिवार को उत्साह के साथ माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापना कर मनोकामना ज्योति कलश जलाया गया। और नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ी।

बालोद जिला मुख्यालय सहित शहरीय व ग्रामीण अंचलों में माँ की मूर्ति स्थापना के साथ मंदिरों में कलश स्थापना कर पूरे विधिविधान से पूजा प्रारंभ हुई। जिले के प्रसिद्ध माँ गंगा मईया मंदिर झलमला में शारदीय नवरात्रि की शुभमुहूर्त में 951 कलश जलाए गए। शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर समिति द्वारा मंदिर परिसर में भक्तों के आने पर प्रतिबंध लगा मां के दर्शन के लिए सोशल मीडिया यूट्यूब पर मंदिर का लगातार सीधा प्रसारण किया जा रहा ताकि भक्त घर बैठे मां के दर्शन कर सके।

कोरोना के चलते इसबार नवरात्रि फीकी दिख रही है। जिले के कुसुमकसा, टेकापार, डौकीडीही में ग्रामीणों में विधि विधान से मां की मूर्ति स्थापना की। तो वही दल्ली राजहरा नगर के श्री श्रमिक दुर्गा एवं दशहरा उत्सव समिति द्वारा माँ की भव्य मूर्ति की जगह छोटी मूर्ति स्थापना कर इस वैश्विक महामारी में शासन के दिशा निर्देशों का पालन कर एक संदेश देने का प्रयास किया गया है।

कोरोना काल के बीच शुरू हुए शारदीय नवरात्र के पहले दिन शनिवार को मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की गई। नवरात्र शुरू होते ही बड़ी संख्या में लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, जहां नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। दुर्गा पूजा के आगमन के साथ ही बाजारों में रौनक भी बढ़ गई है। किराना दुकान, फल दुकान, कपड़े की दुकान आदि पर लोगों की काफी भीड़ दिखाई पड़ रही है।