शासकीय जमीनों पर हो रहा कब्जा ,निकाय अधिकारी मौन शासकीय जमीनों को निजी बता कर बेचा जा रहा है

शासकीय भूमि पर हो रहे कब्जों को रोकने में अधिकारियों की कोई रुचि नही

दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।डोंगरगांव एक मात्र नगर पंचायत है जहां पर अधिकारियों कर्मचारियों व जन प्रतिनिधियों की कार्यशैली पर लगातार उंगली उठ रही है।जिसका मुख्य कारण है की बिना जानकारी लिए कुछ जनप्रतिनिधियों के इशारों पर नियम कानून को ताक पर रख बिना सच्चाई जाने बिना जानकारी लिए मनमानी तरीके से लोगों को शासकीय जमीनों को निजी बता कर बेचा रहे है नियमानुसार किसी भी निर्माण पर नोटिस जारी करने के पूर्व मौके पर जाकर उसकी सच्चाई व जानकारी ली जानी चाहिए तथा वास्तविकता जानने पटवारी से जानकारी ली जानी चाहिए।किंतु यहां सब कुछ उल्टा पुल्टा ही है।

जनप्रतिनिधियों के इशारों इशारों पर नाचने उतारू हैं अधिकारी

नगर पंचायत के अधिकारियों को छोटे से नगर पंचायत में यह जानकारी भी नही है कि कहां कितनी शासकीय भूमि खाली है जिसे सुरक्षित किया जाय इसकी शिकायत सीएमओ को भी किया गया है निकाय अधिकारी शासकीय भूमि को बचाने या सुरक्षित रखने में रुचि नहीं दिखाते और नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।जिसके चलते पुराने कब्जे तो हैं ही नए कब्जों की भी बाढ़ आन पड़ी है जिसे रोकने में आला अधिकारी असफल साबित हुवे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ जमीन दलालो को भी बेचा जा रहा है आखिर इसके पीछे इनका क्या खेल है यह पर्दें के पीछे है जिसे जानना व समझना जरूरी हैं।
शासकीय मदों से हो रहे विकास के अतिरिक्त अधिकारियों का ना ही वसूली में इंट्रेस्ट है ना ही स्थाई इंकम बढ़ाने में रुचि।शायद इन्होंने मानसिकता पाल ली है की हमे तो शासन से तनख्वाह मिलनी ही है ।चाहे कुछ करें या कार्यालय में बैठकर समय काटें।

आखिर ऐसे में कैसे चलेगा

कार्यालयों में बैठने से नही जनता के बीच पहुंचने से मिलेगा जनता को शासन की योजनाओं का लाभनोटिस भेजकर चुप बैठ जाने से ना वसुली होगी ना कब्जे रुकेंगे उसके लिए मैदान में आने व कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।किन्तु ना जाने क्यों अधिकारी रुचि नही लेे रहे और राजनीतिक दबाव के कारण अधिकारी इस ओर कोई पहल करते नजर नही आते।