खस्ताहाल डोंगरगांव रोड पर जानलेवा गड्ढा, बड़े हादसे का इंतजार?लोनिवि का निकम्मापन आ रहा सामने पत्रकार दंपति हादसे का शिकार हुए

पीडब्ल्यूडी गहरी नींद में मरम्मत कार्य भी नहीं करा पा रहे है

दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।जिला मुख्यालय से डोंगरगांव तथा मोहला-मानपुर-चौकी जिले को जोडऩे वाले राज्य मार्ग पर डोंगरगांव से राजनादगांव तक तथा डोंगरगांव से मोहड़ तक इसी प्रकार फरहद चौक से लेकर जंगलपुर तक कई जानलेवा गड्ढे राहगीरों को जख्म बांट रहे हैं। हैरत की बात है कि अखबारों में खबरें छपने के बाद भी लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इनकी मरम्मत का नाम नहीं ले रहे हैं। जिले के मुखिया कलेक्टर भी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे तो यही लग रहा है कि जिला प्रशासन को भी सडक़ पर बड़ी दुर्घटना होने और जानमाल की बड़ी क्षति होने की बेसब्री से प्रतीक्षा है। शायद उसके बाद ही जानलेवा गड्ढे की मरम्मत कार्य कराया जाएगा।


डोंगरगांव मेन रोड से बगदई पुल तक इनके अलावा चौकी रोड में मोहड़ तक आपको मुख्य मार्ग पर जगह जगह गड्डे नजर आएंगे इसी प्रकार फरहद से जंगलपुर नाला के ठीक बीचोंबीच बना जानलेवा गड्ढा लोगों के लिए बड़ा खतरा बनाहुआ है। शनिवार की शाम को डोंगरगांव के पत्रकार घनश्याम साव अपनी पत्नी लोकेश्वरी के साथ राजनांदगांव अस्पताल से ईलाज कराकर मोटरसायकिल से वापस घर जाने के दौरान जंगलपुर रपटा पुल पर बने उसी गड्ढे में दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिससे उनके दोनों घुटनों और हथेलियों में गहरी मार लगी है और उन्हें बिस्तर पर आराम करना पड़ रहा है। साथ ही उनके साथ बैठी उनकी पत्नी भी गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। उनकी आंख के नीचे गहरी चोंट आई है, जहां पर पांच टांके लगाने पड़े हैं। गनीमत रही कि दोनों घायल हुए हैं अन्यथा बड़ी अनहोनी भी हो सकती थी। दोनों को घटना स्थल से पुलिस संदीप देशमुख और प्रेस क्लब डोंगरगांव के सदस्यों ने वाहन व्यवस्था कर अस्पताल में इलाज कराने के बाद घर में विश्राम करना पड़ रहा है। इससे पहले एक साल भर में डोंगरगांव मार्ग में अब तक 10 से अधिक मौत हो चुकी है इनके अलावा सैकड़ो राहगीरों को हाथ पैर सिर में ऐसी कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। वर्तमान में फरहद चौक से जंगलपुर के बीच सडक़ पर कई छोटे बड़े गड्ढे हैं। साइड शोल्डर नहीं होने से भी राहगीर साइकिल मोटरसाइकिल सहित गिर करके घायल होते रहे हैं। आयशर जैसी कुछ बड़ी गाडिय़ां भी पलट चुकी हैं। सडक़ पर मवेशी भी पसरे रहते हैं।
मुख्य सडक़ के किनारों यानि फुटपाथों पर कंटीली झाडिय़ां उग आई हैं, जिनके कारण साइड देने-लेने में भी दिक्कतें होती हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मजदूर लगाकर इन्हें कटवाने और गड्ढों के समतलीकरण के लिए भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जरूरत की जगहों पर यातायात संकेतक बोर्ड भी नहीं लगे हैं। फरहद चौक से आगे 400 मीटर तक फोरलेन सेंट्रल लाइटिंग तो है मगर रात में कई लाइट तो जलती ही नहीं। सडक़ के बिल्कुल किनारे या फुटपाथों पर बड़े पेड़ों पर लाल रेडियम नहीं लगाने से भी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। इस तरह यातायात संबंधी समस्याओं को हल नहीं करने से आते जाते लोग न सिर्फ लोक निर्माण विभाग को कोस रहे हैं, बलिक जिला प्रशासन को भी बुरा भला कह रहे हैं।

फरहद चौक रोड जंक्शन, फिर भी कर रहे अनदेखी

उल्लेखनीय है कि फरहद चौक शहर के आउटर का बड़ा चौक, जहां पर 10 रूट हैं। ऐसे चौराहे पर भी मार्गदर्शक फलक नहीं लगाना, हाईमास्ट लाइट नहीं लगाना, गड्ढा खाई की मरम्मत नहीं करना, मार्ग विभाजक की उचित मरम्मत, सौंदर्यीकरण नहीं करना, पसरे मवेशियों और अतिक्रमण व्यवसाय को नहीं हटाना, पुलिस की स्थाई तौर से पॉइंट ड्यूटी नहीं लगाना, ड्रेनेज सिस्टम नहीं देना, यह सब बातें प्रशासन की घोर लापरवाही को साबित कर रही है। यह सब लापरवाही बड़े जान माल के नुकसान का कारण न बन जाए? शायद इस तरह की घटना के बाद ही जिला प्रशासन की नींद खुलेगी। अचरज की बात है कि इन समस्याओं के निवारण के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की भी कमी बनी हुई है और कोई भी जिम्मेदार नेता, मंत्री, विधायक भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

रोजाना आम जनता की समस्याओं को समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशन कर प्रशासन और विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया जाता है, ताकि उन समस्याओं का समाधान हो और लोगों को उससे राहत मिल सके। कलेक्टर चाहें तो रोजाना ऐसी जनहित की खबरों पर तत्काल संज्ञान लेकर संबंधित विभाग को आदेश कर सकते हैं, किंतु उनके द्वारा भी कोई ऐसा प्रयास नहीं किया जाना हैरानी की बात है। लगातर हो रही दुर्घटनाओं को लेकर डोंगरगांव पत्रकारों के द्वारा पी डब्लू डी विभाग और रोड़ निर्माण ठेकेदार के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने की योजना बना रहे हैं।

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