रेस्ट हाऊस को नगर से बाहर बनाने के विरोध में उठने लगे स्वर ,आखिर नगर का सत्यानाश क्यों चाहते हैं जनप्रतिनिधि
सवाल – स्वीकृति व टेण्डर के बाद भी बाजार का फेस 2 क्यों नहीं बनाया जा रहा
दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/ डोंगरगांव।नगर के हृदय स्थल में स्थित रेस्ट हाऊस को नगर से बाहर बनाये जाने के निर्णय के विरूद्ध अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं। सवाल इस पर भी खड़ा किया जा रहा है कि आखिर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि व नगर पंचायत पदाधिकारी किस स्वार्थ के चलते नगर का सत्यानाश करने पर तुले हुए हैं? साथ ही तीन साल पहले राज्य शासन से मिली स्वीकृति और टेण्डर के बाद आखिर बाजार का फेस 2 क्यों नहीं बनाया जा रहा है?
बता दें कि समीपस्थ ग्राम मोहड़ के ग्रामीण अपने गांव की सीमा में किसी भी सूरत में विश्राम गृह नहीं बनने देना चाह रहे हैं।
इसके लिए न सिर्फ ग्रामवासी पूरी तरह से लामबंद हैं, वरन् किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। अब डोंगरगांव नगर के बीच में सर्वसुविधायुक्त रूप से एक बड़े भूभाग में स्थित वर्तमान विश्राम गृह को हटाये जाने के विरूद्ध भी नगरवासी लामबंद होने लगे हैं। अनेक नागरिक, समाजसेवी, जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में अपनी अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि पहले ही सर्वसुविधायुक्त व सबके पहुंच के बीच स्थित सरकारी अस्पताल को नगर से दूर बनवाकर सत्तारूढ़ दल के लोगों ने भारी गलती की है। वही गलती एक बार फिर दुहराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में स्थित रेस्ट हाउस में अभी भी लगभग 3 एकड़ के आसपास जमीन खाली है
वर्तमान में यहां पर लोक निर्माण विभाग के स्टॉफ यथा इंजीनियर, टाइमकीपर व अन्य के लिए अलग अलग कमरा बनाया गया था, जो वर्तमान में देखरेख व मरम्मत के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया है। आज से लगभग 10 – 12 साल पहले यहां इंजीनियर सहित सभी स्टॉफ निवास करते थे, तब यहां पीडब्ल्यूडी की कॉलोनी गुलजार थी। लेकिन कालांतर में मुख्यालय में रहने की अनिवार्यता में छूट के कारण नब्बे फीसदी अधिकारी कर्मचारी अन्यत्र स्थान से आना जाना करने लगे और स्टॉफ के लिए बना कमरा अपनी जर्जरावस्था में पहुंच गया।
वहीं वर्तमान विश्राम गृह भी लगातार मरम्मत व रंगरोगन के दम पर आज तक टिका हुआ है, जिसके स्थान पर ही नवीन भवन बनाये जाने के लिए लोक निर्माण विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसकी प्रत्याशा में शासन की ओर से 17 जुलाई 2022 के आदेश अनुसार नगर पंचायत क्षेत्र में ही नवीन विश्राम गृह भवन निर्माण कार्य के लिए 68 लाख 37 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई थी।
समाजसेवी सुरेश नखत ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
इस संबंध में समाजसेवी तथा पत्रकार सुरेश नखत ने एक लिखित पत्र भेंट मुलाकात कार्यक्रम में डोंगरगांव पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हाथोंहाथ दिया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया है कि अंग्रेजों के शासन काल में नगर में निर्मित विश्राम गृह नगर के ह्रदय स्थल में ही स्थित और सुरक्षित है। वर्तमान में विश्राम गृह खसरा नंबर 566, 567, 568 एवं 569 कुल रकबा 2 एकड़ 22 डिसमिल पर्याप्त जगह है, जिनमें नवीन विश्रामगृह के भवन के साथ सब इंजीनियर और अन्य कर्मचारियों का निवास भी बनाया जा सकता है।
वर्तमान में जिस जगह पर विश्रामगृह स्थित है, उतना बड़ा भूभाग नगर के अन्य स्थानों में कहीं भी नहीं है। साथ ही वर्तामन में स्थित चारों ओर से सुरक्षित बाउंड्रीवॉल से घिरा हुआ है। पत्र में श्री नखत ने उल्लेख किया है कि यहां पर इतने बढिय़ा और सुरक्षित स्थान को छोडक़र अन्य स्थल का चयन करना औचित्यहीन है। सोमवार को होगा जगह का सीमांकन समीपस्थ ग्राम मोहड़ के रहवासियों के पुरजोर विरोध के बाद अब प्रशासनिक रूप से यह तय किया गया है कि आने वाले सोमवार को ग्राम मोहड़ के खाली मैदान तथा आसपास की जमीन का सीमांकन किया जायेगा। इसके लिए एसडीएम की की ओर से तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक तथा हल्का पटवारी को आदेशित किया गया है।