अक्षय तृतीया पर बच्चों ने गुड्डा गुडिया का शादी कर के हर्षोल्लास के साथ मनाया
अक्षय तृतीया का दिन हर शुभ कार्य करने के लिए शुभ माना जाता है
दैनिक बालोद न्यूज।संस्कृत भाषा में, ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’. ऐसा माना जाता है कि यज्ञ, हवन, दान और जप का लाभ व्यक्ति के साथ हमेशा बना रहता है. ऐसा कहा जाता है कि जो जोड़े अक्षय तृतीया के दिन शादी करते हैं उन्हें अनंत समृद्धि और एक साथ रहने का आशीर्वाद मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य और चंद्रमा अपने सबसे उज्ज्वल चरण में रहते हैं और ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन किसी भी शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है।
भारत में सनातन धर्म के अनुसार कई तीज त्यौहार मनाया जाता है. अक्षय तृतीया के मौके पर परंपरागत रूप से सोना-चांदी, कार-बाइक, इलेक्ट्रानिक उत्पाद और कपड़े की खरीदारी देशभर में की जाती है. इस दिन छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले अक्ती तिहार के लिए गुड्डे-गुड़ियों का भी बाज़ार सजकर तैयार है।
-गुड्डा गुड़िया की रचाई जाती है शादी
छत्तीसगढ़ में मान्यता के अनुसार बच्चे गुड्डे-गुड़ियों की शादी कर पर्व को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते हैं. इसे लेकर प्रदेश में अलग ही धूम रहती है. अक्ती यानी अक्षय तृतीया के दिन बच्चे मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं. कल जिन बच्चों को ब्याह कर जीवन में प्रवेश करना है, वे परंपरा को इसी तरह आत्मसात करते हैं. बच्चे, बुजुर्ग बनकर पूरी तन्मयता के साथ अपनी मिट्टी से बने बच्चों का ब्याह रचाते हैं. इसी तरह वे बड़े हो जाते है और अपनी शादी के दिन बचपन की यादों को संजोए हुए अक्ती के दिन मंडप में बैठते है. अक्ती के दिन महामुहूर्त होता है. बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन शादियां होती हैं. एक दक्षिण भारतीय कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन देवी मधुरा ने भगवान शिव के अवतार सुंदरेश से विवाह किया था. इस प्रकार, इस दिन शादी करने वाले सभी जोड़ों को देवताओं द्वारा शाश्वत प्रेम का आशीर्वाद दिया जाता है.इस गुड्डा-गुड्डी शादी समारोह में विशेष रूप से कनिष्क साहू,मोनल साहू,प्राची साहू, दिव्यांश बब्बू, सारांश साहू,वर्षा साहू उपस्थित थे।