EXCLUSIVE- आखिर क्यों इस यूपी की महिला को वृद्धाश्रम भी लगता है कैदखाना, रोते हुए कहती है मुझे भी है घर जाना,,,? पढ़िए पूरा मामला

लॉकडाउन में 4 माह से बालोद में फंसी वृद्धा, ना जा सकी घर तो प्रशासन लोकेशन नहीं मिलने की बात कर चुप बैठी

दीपक यादव,बालोद। एक तरफ जहां राज्य और केंद्र सरकार देश के अलग-अलग कोने में फंसे हुए लोगों को उनके घर पहुंचाने की पहल कर रही है तो वहीं बालोद जिले में एक ऐसा मामला भी सामने आया है जहां प्रशासन व जिम्मेदार विभाग के अफसरों की उदासीनता के चलते उत्तर प्रदेश की एक महिला भूदेवी 4 महीने, 10 दिन से बालोद जिले में ही फंस कर रह गई है।

यह महिला 20 फरवरी को बालोद में भटकते हुए मिली थी। जिसे तत्काल में तो प्रशासन ने आश्रय स्थल में पनाह दिया था। लेकिन अब उसे उनके मूल आश्रय यानी घर पहुंचाने के लिए किसी भी तरह की कोशिश नहीं की जा रही है। मजबूरन महिला शहर के वृद्धाश्रम में जैसे-तैसे दिन काट रही है। वह भी दूसरों की तरह घर जाना चाहती है लेकिन मजबूरी ऐसी है कि उसे किसी तरह से मदद नहीं मिल रही है तो वहीं पुलिस और प्रशासन अब तक उसके लोकेशन ना मिलने की बात करके उसे घर पहुंचाने से भी पीछे हट रही है।

आश्रय स्थल प्रबंधक ने ढूंढ कर दिया लोकेशन फिर भी नहीं दे रहे ध्यान

आश्रय स्थल प्रबंधक


आश्रय स्थल की प्रबंधक चित्रलेखा साहू ने बताया कि 20 फरवरी से आश्रय स्थल में उक्त महिला रह रही थी। जिसे कुछ दिनों से वृद्धाश्रम में ठहराया गया है। दुर्ग रेलवे स्टेशन में अपने परिजनों से गुम हो गई थी जो अभी बालोद में ही है। अपना नाम भूदेवी पति मुन्नालाल बताती है। जब मैंने उनसे उनका पता पूछा तो वह गांव कोठी थाना बालाजी जिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश बता रही है
इस पते की जानकारी पुलिस व समाज कल्याण विभाग के अफसरों को भी दी गई है लेकिन उनके द्वारा कहा जाता है कि यह पता सही नहीं है।

प्रबंधक ने कहा कि मैंने स्वयं गूगल मैप पर लोकेशन ढूंढ कर पुलिस को दिया है। अब तक ना समाज कल्याण विभाग से कोई ध्यान दिया जा रहा है न ही पुलिस के द्वारा। महिला घर जाने के लिए जिद करती है और हम नहीं भेज पाते हैं तो मुझे घर जाना है कहते हुए रोने लगती है। जिससे उसकी तबीयत भी बिगड़ने लगी है। प्रबंधक ने प्रशासन से मांग की है कि उसे जल्द से जल्द घर भेजा जाए ताकि वह अपनों से मिल सके।