भ्रष्टाचार- लकवाग्रस्त ग्रामीण बिस्तर पर बीमार तो प्रसव पीड़ित महिला मायके में, फिर भी बन गई सरकारी रिकॉर्ड में मनरेगा मजदूर, पढ़िए कहां और कैसे हुई है अंधरेगर्दी?
सरकार का दावा छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरों को रोजगार दिलाने में आगे तो इधर खेरुद पंचायत में चल रही है योजना में मनमानी
बचने के लिए जिम्मेदार दे रहे हैं गोलमोल जवाब इधर अधिकारी का कहना होगी जांच
बालोद। गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम खेरुद में मनरेगा में एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां के जागरूक ग्रामीणों ने कलेक्टर, जिला पंचायत प्रशासन सहित मनरेगा के जिला कार्यक्रम अधिकारी को लिखित शिकायत कर यह आरोप लगाया है कि फर्जी तरीके से बिना काम के ही कई लोगों के नाम से हाजिरी चढ़ाकर पंचायत के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक व अन्य स्टाफ सरकारी राशि का बंदरबांट कर रहे हैं। ऑनलाइन मस्टररोल का रिकॉर्ड निकलवा कर ग्रामीणों ने कुछ ऐसे दस्तावेज भी प्रशासन को सौंपे हैं। जिससे यह पता चलता है कि किस हद तक मनरेगा में हाजिरी चढ़ाने के नाम पर गड़बड़ी हो रही है। हैरानी वाली बात यह सामने आई है कि जो महिला प्रसव के बाद अपने बच्चे का पालन पोषण मायके में रह कर रही थी जो अभी कहीं काम पर भी नहीं जा सकती उस महिला का नाम भी मस्टररोल में चढ़ा दी गई है। इस बड़े मामले के सामने आने पर पंचायत प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है तो वहीं जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी मामले की जांच करवाने की बात कह रहे हैं।
इस तरह की हुई है अजब गजब गड़बड़ी
शिकायतकर्ता ग्रामीणों ने प्रमाण सहित मस्टर रोल के ऑनलाइन रिकॉर्ड से यह बताया है कि खेरुद की रहने वाली सरस्वती बाई पति फ़िरंता राम जाति ठेठवार लॉकडाउन लगने से पहले अपनी बेटी के घर सिरपुर तहसील डौंडीलोहारा गई हुई थी। जहां वह अप्रैल-मई में अपने बेटे के पास ही रहती थी। 13 जून से को वह ग्राम खेरुद में आई है फिर भी सरपंच, रोजगार सहायक द्वारा सरस्वती बाई का नाम अप्रैल व मई माह के मस्टररोल में दर्ज कर फर्जीवाड़ा किया गया है।
मायके गई है महिला और रोजगार गारंटी में कर रही ऑन रिकॉर्ड मजदूरी
इसी तरह संध्या यादव पति शरद यादव अपनी डिलीवरी के लिए अपने मायके गांव तहसील डौंडीलोहारा गई हुई थी। दल्ली के अस्पताल में प्रसव हुआ। वह मनरेगा के काम में उपस्थित ही नहीं रही इसके बाद भी हाजिरी मदर्ज कर शासन को चूना लगाया गया है।
लकवा ग्रस्त व्यक्ति को भी बता दिया मजदूर
गांव के एक लकवाग्रस्त व्यक्ति को भी मज़दूर बताकर हाजिरी चढ़ाई गई है। जो किसी प्रकार से कोई काम भी नहीं कर सकता ऐसे व्यक्ति का नाम भी दर्ज किया गया है। इसी तरह दर्जनों मजदूरों व जो कभी काम में जाते नही हैं, उनके नाम से गड़बड़ी की गई है।
सरपंच सचिव दे रहे हैं गोलमोल जवाब, कहते हैं हम जांच के लिए हैं तैयार
इधर जब मामला उजागर हुआ तो अब सरपंच, सचिव व अन्य जिम्मेदार गोलमोल जवाब देकर मामले से बच रहे हैं। सरपंच योगेश साहू का कहना है कि आरोप-प्रत्यारोप चलता रहता है। गांव वाले जो आरोप लगाए हैं उसके बारे में हम जांच करवाने के लिए भी तैयार हैं। जो भी आरोप हैं उनकी निष्पक्षता से जांच हो जाएगी। तो वही सचिव खेमेन्द्र बेलचंदन का भी कहना है कि गलती कहां से हुई है पता करना पड़ेगा। शिकायत करने वालों के पास क्या प्रमाण है इसकी हमें जानकारी नहीं और कैसे वे आरोप लगा रहे हैं इसकी जांच होगी तो मामला स्पष्ट हो जाएगा अभी फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहते।
ऑनलाइन रिकॉर्ड में नाम आना ही है एक प्रमाण
इधर इस मामले पर जब हमने जिला मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी ओपी साहू से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि मामले की शिकायत ग्रामीणों ने की है इसकी जांच करवाई जा रही है। जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। मस्टररोल में ऑनलाइन रिकॉर्ड देखा जा सकता है। यह फील्ड से ही नाम भरा जाता है। अगर बिना काम के मस्टर रोल में नाम आया है तो गड़बड़ी तो हुई है। बिना काम किए या बिना स्थानीय अमला द्वारा रिकॉर्ड एंट्री के बगैर यह ऑनलाइन भी नहीं होता है। जांच करवा रहे हैं कि मामले में दोषी कौन है जो भी दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।