छत्तीसगढ़ छेरछेरा परंपरा संरक्षण करने में रा से यो का महत्वपूर्ण योगदान है

दैनिक बालोद न्यूज/हेमचंद्र यादव विश्विद्यालय दुर्ग के माता कर्मा महाविद्यालय गुण्डरदेही के राष्ट्रीय सेवा योजना में स्वयंसेवकों द्वारा छत्तीसगढ़ संस्कृति लोक कला छेरा छेरा त्यौहार मनाया गया जिसमे गोद गांव चिचलगोदी में घर घर जाकर छेरछेरा मांगे हैं। सभी स्वयंसेवक जुबां पर एक ही स्वर होता है- ‘छेरछेरा..माई कोठी के धान ल हेरहेरा”। इसके साथ ही ‘अरन-बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन” का स्वर भी अधिकारपूर्वक मांगने को प्रदर्शित किये है। जिसमे 60 किलो धान और 156 रुपय दान मिला जिसको स्वयंसेवक राम मंदिर सहयोग के लिए दान करेगा।


के के सिन्हा कार्यक्रम अधिकारी रासेयो ने लोकसाहित्य लोककला को संरक्षित करने योगदान

प्रत्येक शिविर में आदिवासी नृत्य, पारंपरिक लोककला कर्मा- ददरिया,बस्तर नृत्य, सुआ, पंथी नृत्य, भटरी पारंपरिककर्मा- ददरिया, अरप पैरी के धार गीत अपने बोली भाषा मे अन्य राज्यो में बिखेर रही हैं ।
शिविरों में अपने छत्तीसगढ़ लोक सस्कृति को नाटक ,देवार गीत अनेक अभिनय किये और अपना छत्तीसगढ़ सांस्कृति कला बिखेरा है।


हमारी लोककला व संस्कृति परंपरा संरक्षण के लिए युवाओं को आना होगा सामने- कौशल गजेन्द्र

छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। राज्य में एक बहुत ही अद्वितीय और जीवंत संस्कृति है। वर्तमान में पश्चिमी प्रभाव के चलते हमारी लोक संस्कृति पर असर पड़ रहा है। जमीन से जुड़ी वह मिट्टी की सुगंध व संस्कृति से सराबोर लोक कला को बचाए रखना हमारी जवाबदारी। इसके लिए हम युवाओं को भी सामने आने कि आवश्यकता है ।
इस छेर छेरा पर्व में डॉ लीना साहू रासेयो जिला संगठक जिला बालोद व के.के. सिन्हा कार्यक्रम अधिकारी के मार्गदर्शन व वरिष्ठ स्वयंसेवक(समाज कार्यकर्ता)कौशल गजेन्द्र निर्देशन में कियॉ गया साथ ही वरिष्ठ स्वयंसेवक गीतांजलि अलका दलनायक उद्धव प्रभारी कार्यक्रम सोनम,पूजा स्वयंसेवक खुशबू,ऋचा,नितीश,विकास,नीरज,गुरुदयाल,खिलव्रत,जागृति, के विशेष सहयोग रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *