अपनी दुल्हन और उनके शहीद भाई के सपने को पूरा करने जब अमेरिकन बाबू 11 बैल गाड़ियों के साथ बारात लेकर पहुंचे दुल्हन के गांव।
दैनिक बालोद न्यूज/डोंगरगांव।आज की आधुनिकता के इस दौर में जहां दूल्हा अपने नई नवेली दुल्हन को लेने बारात लेकर बड़े-बड़े लग्जरी मर्सडिज कार घोड़ी बग्गी में सवार होकर जाया करते है। तो वही एक ऐसा दूल्हा हाल में देखने को मिला जो अमेरिका में नकरी करने के बाद भी छत्तीसगढ़ की अपनी संस्कृति और परंपरा को कायम रख बैलगाड़ी को सजा बकायदा काफिले के साथ बारात लेकर अपनी दुल्हन ओनिशा साहू को लेने उनके घर पहुचे।
शहीद पूर्णानंद साहू का सपना था
दरअसल दुल्हन बनी ओनिशा साहू के भाई सीआरपीएफ जवान पुर्णानंद साहू का सपना था की वे अपनी बारात बैलगाड़ी में सवार होकर जाए। और यह उनका सपना इसी साल मार्च में पूरा होने वाला ही था कि 10 फरवरी 2020 को सपना पूरा होने से पहले माओवादी हमले में पुर्णानन्द शहीद हो गए।
शहीद भाई का सपना तो पूरा ना हो सका तो बहन ने संकल्प ले लिया कि
अब उनकी बारात बैलगाड़ी से उनके घर आए। जिसके बाद दुल्हन व उनके परिवार वालो ने दूल्हा बनने जा रहे शलेंद्र साहू पिता हीरा साहू निवासी अर्जुनी व उनके परिवार से शहीद बेटे की ख्वाहिश और बेटी की संकल्प को बतला बैलगाड़ी से बारात आने का निवेदन किया। फिर क्या शहीद को सम्मान और उनके सपने को पूरा करने दूल्हा बने शैलेंद्र साहू ने अपने परिजन और रिश्तेदारों के साथ 11 बैलगाड़ियों को सजा अपने गांव ग्राम अर्जुनी डोंगरगांव से 10 किलोमीटर दूर जंगलपुर अपनी दुल्हन को लेने उनके घर बारात लेकर पहुच गए।
बैलगाड़ी से निकली बारात के काफी को देख राह में चलने वाले हर कोई शख्स देखते रह गए
,तो कईयों ने इस परिदृश्य को देख अपने मोबाइल की कैमरा में कैद करने से भी नहीं चुके और अपने मोबाइल में कैद कर किए। जिनका वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जो अब एक गांव ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश स्तर पर चर्चा में बना हुआ है।
यही नही गांव में जब बारात पहुंची तो दूल्हे को परघाने
(दुल्हन के घर ले जाने) बाकायदा छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को संजोए रख एक नाच गम्मत पार्टी की व्यवस्था किया गया था। जो दूल्हे के बैलगाड़ी काफिले के आगे आगे नाचते झूमते दुल्हन के घर पहुँची।
शहीद पुर्णानंद साहू को सच्ची श्रद्धांजलि
शहीद पुर्णानंद की बहन हैं दुल्हन ,आपको बता दें कि शहीद पूर्णानंद सीआरपीएफ का जवान था जो कि माओवादियों से लोहा लेते हुए बीजापुर में 10 फरवरी 20 को शहीद हो गया था उनके वीरगति पर पुरा शासन प्रशासन के साथ आम जनों ने उनके श्रृद्धांजलि अर्पित करने के लिए जंगलपुर पहुंचा था।