नित्य रामायण, गीता आदि के अध्ययन से मन में आने वाले अनेक प्रश्नों का जवाब स्वयं के हृदय से ही मिल जाता है -बाबा रामबालक दास
कीर्तन करने वालों का माया रूपी नर्तकी बिगाड़ नहीं कर सकती
बालोद। जो भगवान के नाम का सहारा लेता है उसे राम का आश्रय मिलता है। कीर्तन को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनायें। कीर्तन करने वालों का माया रूपी नर्तकी ( कीर्तन का विलोम ) कुछ बिगाड़ नहीं कर सकती।
पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा का समाधान बताते हुये संत रामबालकदास ने “राम कथा सुंदर करतारी। संशय बिहग उड़ावनहारी।। की व्याख्या करते हुये कहा कि मानस में गोस्वामी जी ने एक ही शब्द के अनेक अर्थों की ओर संकेत किया है। इस चौपाई का सामान्य अर्थ है राम के नाम ने सुंदर अर्थात् अच्छे कर्म करने वालों को तार दिया। जिनके कर्म अच्छे नहीं हैं नास्तिक बुद्धि वाले हैं उनके संशय को दूर कर उन्हें इस योग्य बनाया कि वे प्रभु मार्ग के पथिक बन जायें।
राम नाम रूपी ताली से संशय रूपी चिड़िया उड़ जाती है
किसान खेत में बीज बोता है तब इसे चुगने चिड़िया, कबूतर, तोते आदि आ जाते हैं जिसे किसान ताली बजाकर भगाता है ताकि बीज समुन्नत हो सके। इसी प्रकार संतों के द्वारा दिये जाने वाले ज्ञानोपदेश रूपी बीज को चुगने संदेह रूपी पक्षी आते हैं जिन्हें ज्ञान, भक्ति से दूर भगाया जाता है। महाराज जी ने कहा कि भजन, कीर्तन, जप – तप, आराधना आदि से जीवन में संदेह, कुतर्क, भ्रम आदि का शमन होता है।
नित्य रामायण, गीता आदि के अध्ययन से मन में आने वाले अनेक प्रश्नों का जवाब स्वयं के हृदय से ही मिल जाता है
इसलिये भजन में दृढ़ता आनी चाहिये। वर्तमान पानी की धारा को तेल की धारा में परिवर्तित कीजिये। राम कथा श्रवण से ही माता पार्वती के संदेह का निवारण हुआ था। राम जी व उनकी पावन कथा के संसर्ग में आते ही संशयों का नाश हो जाता है। राम कथा श्रवण की ताली बजते ही संशय रूपी पंछी उड़ जाते हैं।