अरे ये क्या हुआ और मुंडन क्यों मुंडन करवा रहे…? जानने के लिए पढ़ें दैनिक बालोद न्यूज

समूहिक मुंडन

बालोद/डोंगरगांव।  मुंडन संस्कार करा रहे ये लोग राजनांदगांव जिला स्थित डोंगरगांव के 50 से अधिक संविदा स्वास्थ कर्मचारी है। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर ये मुंडन क्यों हो रहे, तो चलिए इनके बारे में बतलाने कुछ साल पहले ले चलते है।

कांग्रेस का जन घोषणा पत्र

दरअसल बीते तीन पंचवर्षीय प्रदेश में भाजपा शासित सरकार थी। नवंबर 2018-19 में विधानसभा चुनाव होना था, ऐसे में 15 साल से प्रदेश की सत्ता से दूर सत्ता में वापसी करने 2018-19 के विधानसभा में अपना “जन घोषणा पत्र” लेकर आया। जिसमे प्रदेश में उनकी सरकार बनने पर किसानों की कर्ज माफी सहित कई वादे छत्तीसगढ़ प्रदेश की जनता से कर अपने लिए वोट मांगे। इन्ही में से एक अनियमित, संविदा एवं दैनिक भोगी कर्मचारियों को रिक्त पदों में नियमित करने की घोषणा सामिल था।

संविदा कर्मचारियों से किया वादा

प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पार्टी की “जन घोषणा पत्र” पर भरोषा कर अपना भरपूर आशीर्वाद दे राज्य की चाबी उन्हें सौप दिया।ऐसे में चुनाव से पूर्व किए वादे को याद दिला प्रदेश की 14000 से अधिक स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी, अधिकारी सरकार से चुनावी वादा पूरी करने की मांग को लेकर पिछले 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चलगे गए। बावजूद इसके सरकार द्वारा कोई पहल नहीं की गई  ऐसे में 21 सितंबर को विभिन्न जिलों के संविदा अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा सामूहिक इस्तीफा मुख्य एवं चिकित्सा अधिकारी को सौंपा गया। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा संविदा कर्मचारियों इस्तीफा के बाद भी संज्ञान में नहीं देने पर बुधवार को डोंगरगांव के 50 से अधिक संविदा कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए सामूहिक मुंडन संस्कार कर विरोध प्रदर्शन किया गया। साथ ही  छग सरकार के खिलाफ अक्रोषित होते हुए  2018 में सत्ता में आने से पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने घोषणा पत्र में किये गये वादा को याद दिलाते हुए संविदा ,अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की मांग व संविदा प्रथा को खत्म करने की मांग किया गया।

अपनी मांगों को लेकर अनोखा प्रदर्शन


हड़ताल से चरमराई स्वस्थ्य सुविधा

कोरोना काल जैसे वैश्विक महामारी से प्रदेश ही नही बल्कि देश मे जूझ रहा जहाँ लगातार कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे, जिन्हें रोकने प्रदेश के कई जिलों में लॉकडाउन लगा हुआ है, वही अपनी जान की परवाह ना कर कोरोना संक्रमित का ईलाज कर उन्हें बचाने वाले डॉ. नर्स सहित पूरी स्वास्थ्य अमल पर इस वैश्विक महामारी में एक बड़ी जिम्मेदारी है, ऐसे में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, अधिकारियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन लड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवा काफी प्रभावित हो रहे । सरकार को इस ओर जल्द संज्ञान लेने की जरूरत है ।