Exclusive- 20 दिन की मोहलत के बाद राजी हुए आदिवासी समाज के लोग, जंगी प्रदर्शन के बाद मामला शांत, अपर कलेक्टर बोले एसडीएम की होगी गलती तो कार्रवाई भी जरूर करेंगे

लाइव वीडियो- देखिये कैसे हुआ प्रदर्शन

बालोद। आदिवासी समाज द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किया गया धरना-प्रदर्शन देर शाम को जंगी प्रदर्शन में बदल गया। धरना स्थल से उठकर समाज के लोग रैली निकालते हुए गंजपारा के उक्त विवादित स्थल पर पहुंचे, जहां पर पिछले दिनों समाज के व्यक्ति टण्डन लाल का दुकान, मकान तोड़ा गया था। शाम को लगभग डेढ़ घंटे तक यहां समाज के लोगों ने सड़क पर बैठकर नारेबाजी करते हुए हंगामा किया।

पुलिस और प्रशासन के अफसर समाज के लोगों को समझाने का प्रयास करते रहे लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे। लिखित आश्वासन के बाद ही मामला शांत हुआ। अपर कलेक्टर एके वाजपेयी ने समाज के लोगों को लिखित में आश्वस्त किया कि सभी मांगों पर कार्रवाई होगी उन्होंने कहा कि अगर मामले में एसडीएम की गलती पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

वहीं जिन पर आरोप लगे हैं उनकी गिरफ्तारी के लिए 72 घंटे के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया। कुछ देर तक चक्का जाम की स्थिति निर्मित हो गई। वहीं माहौल गरमाते देखकर जिले भर की पुलिस बल यहां डटी हुई थी ।समाज के लोग जमकर नारेबाजी कर रहे थे।

क्या-क्या है इनकी मांगे
आदिवासी समाज द्वारा रखे गए प्रमुख चार मांगे इस प्रकार थी। जिसमें पहला मांग गंजपारा बालोद के टंडन लाल कावरे के दुकान व बाउंड्री वाल को राजस्व विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के तोड़ना बताया गया था। जिसमें भू माफियाओं के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया गया है हालांकि इस पर प्रशासन की ओर से कहना है कि कोर्ट से इसका फैसला आने के बाद आदेश होने पर ही इसे तोड़ा गया था तो दूसरा मुद्दा कन्नेवाड़ा के जगमोहन सोरी जगदीश ,मिलाप सोरी की जमीन का है।

यहां भी तत्कालीन सरपंच ने नायब तहसीलदार के साथ मिलकर 18 जून 2019 को जेसीबी से मकान तोड़ दिया है। जिस पर समाज ने आवाज उठाई है लेकिन अब तक कार्यवाही नहीं हुई है ।तीसरा मुद्दा कन्नेवाड़ा के ही ग्वालिन बाई के निर्माणाधिन मकान को नीव को तत्कालीन सरपंच द्वारा तहसीलदार को गलत जानकारी देकर तोड़ने का आरोप है इस पर उस समय कलेक्टर ने एफ आई आर कराने का भी निर्देश दिया था लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। चौथा मुद्दा ग्राम मुड़खसरा गुरूर का है जहां रहने वाले नारद राम ध्रुव का कहना है कि उनकी जमीन को पंचायत द्वारा गलत तरीके से तालाब के रूप में लीज में दे दी गई है जबकि रिकॉर्ड में यह उनकी जमीन है। 32 सालों बाद भी इसका फैसला नहीं हो पाया है और इनकी दो पीढ़ी की मृत्यु भी हो चुकी है। लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं आज भी यह परिवार पेशी में चक्कर काट रहा है लेकिन न्याय नहीं मिली है।