15 Aug.Special- रील नहीं यह है रियल हीरो की कहानी, 8 साल पहले केबीसी में अमिताभ बच्चन ने इनके कंधे पर हाथ रख कहा था मायूस मत होइए, मेहनत करिए, आगे बढ़िए, आज बालोद के शेर बहादुर हैं बीजापुर में डीएसपी, नक्सल क्षेत्र के बच्चों का शिक्षा के जरिए भविष्य संवारने खुद पढ़ा रहे ताकि अशिक्षा से मिलें आजादी, देखिए वीडियो व खबर,,,

बच्चों को पढ़ाते डीएसपी शेर बहादुर

नक्सलियों के बंदूक से क्रांति के बजाय यहां बीजापुर में झलमला का डीएसपी कर रहा शिक्षा से शांति लाने का प्रयास,लॉकडाउन में स्कूल बंद पर नक्सल क्षेत्र के बच्चों को विभाग के भवन में पढ़ा रहे ताकि भविष्य हो उज्जवल

“उम्मीद” नामक शॉर्ट फिल्म बनाकर भी लोगों को कर चुके प्रेरित पढ़िए इनकी कहानी

दीपक यादव, बालोद। आज स्वतंत्रता दिवस पर हम एक ऐसे रियल हीरो की कहानी बता रहे हैं, जिसे 8 साल पहले 2012 में रील यानी सिनेमा जगत के हीरो बिग बी अमिताभ बच्चन ने कंधे पर हाथ रख कर कहा था कि मायूस मत होइए, हौसला रखिए, मेहनत करिए, एक दिन आप आगे जरूर बढ़ेंगे। यह वक्त था कौन बनेगा करोड़पति के शो का। इस शो में भाग लेने का हिस्सा इस युवक को भी मिला था। उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि उनका करियर किस दिशा में बढ़ने वाला है। केबीसी में वे हिस्सा तो लिए लेकिन प्रतियोगिता में आगे नहीं बढ़ पाए। वे निराश हुए तो अमिताभ बच्चन ने उनका हौसला बढ़ाया।

हम बात कर रहे हैं झलमला के रहने वाले शेर बहादुर उर्फ सोनू ठाकुर की। जो वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में डीएसपी हैं और कुटरू थाना क्षेत्र में एसडीओपी के प्रभार में हैं। जो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में अपने साहस का परिचय दे रहे हैं तो बच्चों के बीच देशभक्ति की भावना जगाते हुए उन्हें शिक्षा के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। लॉकडाउन में भले ही स्कूल बंद हैं, लेकिन यहां जंगल में डीएसपी की अपनी पाठशाला लगती है। वे इलाके के 80 बच्चों को अपने साथियों के साथ मिलकर पढ़ा रहे हैं ताकि उन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो और अशिक्षा से आजादी मिलें।

ऐसी होती है नक्सल क्षेत्र की स्थिति

इस नक्सल क्षेत्र में जहां बचपन से ही नक्सली बच्चों के मन मस्तिष्क में माओवाद का बीज बो देते हैं। उन्हें शिक्षा से दूर कर देते हैं। वे बचपन से विनाशकारी दृश्य देखते हैं और दहल उठते हैं। ऐसे माहौल में बच्चों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाते हुए डीएसपी शेर बहादुर ने अपने थाना क्षेत्र में नक्सल प्रभावित बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 8 महीने से उनकी यह पहल जारी है। 80 बच्चों को वे अपने थाना के बगल में एक भवन में इकट्ठा करके पढ़ाते हैं। उनका मकसद है कि नक्सली बंदूक से क्रांति लाना चाहते हैं लेकिन वे शिक्षा से शांति लाना चाहते हैं।

नक्सली खौफ के चलते स्कूल जाने से घबराते थे बच्चे, अब बदलने लगा है माहौल

स्कूली बच्चे डीएसपी शेर बहादुर के साथ


डीएसपी शेर बहादुर ठाकुर ने दैनिक बालोद न्यूज़ को बताया कि इस इलाके में नक्सली घटनाएं बहुत होती है। लगातार नक्सली कभी सरकारी भवन तो कभी स्कूल तक को भी तोड़फोड़ कर देते थे। ऐसे में पालक के साथ-साथ उन बच्चों में भी घबराहट रहती थी और वह बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते थे। कई बच्चे तो हफ्तों महीने तक भी स्कूल नहीं आते थे। ऐसे में उनके मन में यह ख्याल आया कि क्यों न वे एक छोटा सा प्रयास करें कि बच्चे शिक्षा को लेकर उत्साहित हो।

उम्मीद नाम के शॉर्ट फिल्म ने दी हजारों को प्रेरणा

कुछ दिन पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अशिक्षा रूपी अंधेरे से शिक्षा रूपी उजाले की ओर जाने के लिए लोगों को प्रेरित करने इस डीएसपी ने “उम्मीद” नाम का एक शार्ट फिल्म भी बनाया है। जिन्हें फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप सहित अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग जमकर शेयर कर रहें हैं तो वहीं इस वीडियो को अब तक हजारों लाखों लोग देख चुके हैं। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं होता है। फिर बच्चों को पढ़ाने की मुहिम शुरू हो जाती है।

2016 बैच के हैं डीएसपी, मां टीचर हैं


ज्ञात हो कि शेर बहादुर उर्फ सोनू ठाकुर झलमला के रहने वाले हैं। उनके पिता स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह ठाकुर कोषालय विभाग में थे तो मां गीता ठाकुर पाररास स्कूल में शिक्षिका है। 2016 बैच के वे डीएसपी हैं। नौवीं की छात्रा पूर्णिमा , मोनिका वाचन व अन्य बच्चों ने कहा कि खेल- खेल में उनके साथ पढ़ते हैं। उन्हें अब पुलिस वालों से भी डर नहीं लगता और वे बेझिझक होकर अपनी बात रखते हैं। देश प्रेम को लेकर बच्चे काफी उत्साहित रहते हैं।

नक्सल क्षेत्र के बच्चे हुए बेखौफ