कंबल में छिपा था जहरीला सांप, बहन की सर्पदंश से मौत, भाई ने जिला अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठाते कहा आखिर मौत का जिम्मेदार कौन? पढ़िए पूरी खबर सिर्फ दैनिक बालोद न्यूज़ पर
नहीं हो पाया इलाज,कांग्रेस नेता व बीज व्यवसाई ने जिला अस्पताल प्रबंधन पर लगाया इलाज में उदासीनता का आरोप
बालोद। बालोद शहर के रहने वाले टावरी परिवार की एक बहन वीना लड्ढा हाल निवास डौंडी मूल निवास महासमुंद की सर्पदंश से मौत हो गई। वह कांग्रेस नेता विनोद टावरी की बहन थी। इस मौत पर विनोद टावरी ने जिला अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि यहां इलाज ठीक से नहीं किया गया और बहन को रेफर कर दिया गया। जब तक हम उसे चंदूलाल अस्पताल भर्ती कराने ले गए, रास्ते में बहन की मौत हो गई थी। डॉक्टरों का कहना था कि हमने इलाज ठीक से किया। अगर इलाज ठीक से किए रहते तो रिफर करने की नौबत क्यों आती।
इस तरह से हुई घटना- कंबल में छिपा था जहरीला सांप
जानकारी के मुताबिक वीना लड्ढा अभी डौंडी में ही रहती थी। उनके पति पुरुषोत्तम का निधन भी दो साल पहले हार्ट अटैक से हो चुका है। जिनकी डौंडी में भी खाद बीज की दुकान है। जिसे उनकी पत्नी ही संभालती थी। रात में कहीं से उनकी कंबल में सांप आकर छुपा हुआ था। जिसे वह देख नहीं पाई और सोने चली गई। इस बीच सांप में उसे डंक मार दिया। उसे अंदाजा नहीं था कि सांप ने काट दिया है। जब रात को 12 बजे वीना को जलन व झन्नाहट का एहसास होने लगा तो वह हड़बड़ा गई और पैर धोने लगी। स्थिति बिगड़ने पर रात में परिजन पहले उन्हें डौंडी के अस्पताल ले गए लेकिन वहां भी सर्पदंश का इलाज नहीं हो पाया और डॉक्टरों ने उन्हें रात 12:30 बजे के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां उनका इलाज चलता रहा। सुबह 4:30 बजे डॉक्टरों ने यहां भी कह दिया यहां भी इलाज मुमकिन नहीं है। इसे कहीं और ले जाइए। सुबह करीब 7 बजे परिजन वीणा को चंदूलाल अस्पताल दुर्ग,भिलाई ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
जिले में लगातार हो रही सर्पदंश से मौत, दम तोड़ रही व्यवस्था
ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में आने वाले सर्पदंश के केस में लगातार पीड़ितों की मौत रही है। कुछ दिन पहले आईटीआई के पास संचालित एक होटल में काम करने वाले कर्मचारी 19 वर्षीय संजय यादव की मौत हुई थी तो इसके पहले नेवारी कला की श्यामा बाई सोनकर ने भी अपनी जान गवाई तो वही एक हफ्ते पहले ही 6 साल के एक बच्चे को भी सांप ने काट दिया था। जो नहीं बच पाया। लगातार हो रही मौतें जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है कि आखिर इन मौतों को रोका क्यों नहीं जाता। एक तरफ विभाग कहता है कि हमारे पास पर्याप्त एंटी स्नेक वेनम है तो आखिर सर्पदंश के शिकार लोगों की जान बचाने की बजाय उन्हें यहां से रिफर करके मौत के मुंह में फिर क्यों ढकेल दिया जाता है। यह जिले के स्वास्थ्य अमला व पूरे प्रशासन के लिए एक बड़ा और गंभीर सवाल बन गया है।