पूर्व सीएमओ के बेटे को पीएम आवास और जरुरतमंद दर दर भटक रहे है

जरूरतमंदों का आवेदन रद्दी में गरीब के निर्माणाधीन आवास को ढहाया

दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव। नगर पंचायत क्षेत्र में जरूरतमंदों को छोड़ शासकीय कर्मचारियों के परिवारों को प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करने का मामला अब तूल पकडऩे लगा है. विगत पंचवर्षीय में निकाय क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास के लिए हजारों आवेदन प्राप्त हुए और कई स्वीकृत भी हुए किन्तु अनेक वास्तविक गरीबों और जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल सका. वहीं इस योजना का अवैध लाभ लेने शासकीय कर्मचारी विशेषकर डोंगरगांव निकाय के अधिकारी-कर्मचारी सबसे आगे रहे.
मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत डोंगरगाँव में प्रधानमंत्री आवास का बंदरबांट किया गया है, जिसमें दैनिक वेतनभोगियों को आवास दिया जाना न्यायोचित था किन्तु अनेक ऐसे शासकीय अधिकारी वर्ग के लोग भी हैं, जिन्होंने नियमों को ताक में रखकर आवास स्वीकृत कर दिया गया और संबंधित विभाग व्दारा निर्माण के बाद भुगतान भी कर दिया गया. हॉलाकि इसमें अनेक शासकीय कर्मचारियों के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन सबसे चर्चित नाम दिव्यांश भीमटे के नाम से गांधी पेट्रोल पंप के पीछे निर्मित प्रधानमंत्री आवास है. बता दें कि हितग्राही दिव्यांश भीमटे अविवाहित हैं और अपने शासकीय सेवारत अपने माता-पिता पर आश्रित हैं, जिसमें पिता संजय भीमटे इसी नगरीय निकाय विभाग अंतर्गत सीएमओ के पद पर रह चुके हैं जबकि उनकी मां एक स्कूल में प्रधानपाठिका के रूप में सेवारत हैं. इनके परिवार में चार सदस्य हैं और वर्तमान राशनकार्ड में इसका उल्लेख साफ है. प्रधानमंत्री आवास के लिए प्राथमिक नियमों में परिवार में पक्का मकान नहीं होना चाहिए लेकिन उपलब्ध राशनकार्ड के अनुसार एकीकृत परिवार का वार्ड 1 के पॉश इलाके में उनकी माता के नाम पर पक्का मकान है. वहीं उनके पिता संजय भीमटे नगरीय निकाय विभाग से सीएमओ के पद पर रिटायर हुए हैं. ऐसे में इस परिवार का वार्षिक आय भी प्रधानमंत्री आवास के मानकों में खरा नहीं उतरता है. इसके बावजूद सारे नियमों को धता बताते हुए नगर पंचायत डोंगरगांव में इनके आवास स्वीकृत दिलायी गयी, जिससे विभाग के कार्यप्रणाली पर अनेक सवालिया निशान लगते हैं. इनके अलावा भी अनेक शासकीय कर्मचारी हैं, जिनके आवास स्वीकृत किये गए हैं. शासकीय राशि का खुलेआम दुरूपयोग और सक्षम व्यक्तियों को आवास का लाभ देने से अनेक जरूरतमंद परिवारों इस योजना का लाभ वंचित हो गए हैं और गरीबों के सैकड़ों आवेदन आज भी धूल खाते नगर पंचायत में पड़े हुए हैं।

गरीब के निर्माणाधीन आवास को किया गया ध्वस्त :

डोंगरगाँव निकाय क्षेत्र में वर्षों से किराये के मकान में गुजर-बसर कर रहे महेन्द्र यादव के नाम से स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास को प्रशासनिक अधिकारियों ने ढहा दिया. सभी नियमों और कागजी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद श्री यादव के पट्टे की जमीन पर नगर पंचायत व्दारा जीओ टेग कर फोटोग्राफी की गई और हितग्राही मकान बनाना प्रारंभ किया गया था, उक्त व्यक्ति ने मकान बनाने के लिए कर्ज लेकर एक ठेकेदार को काम सौंपा था. प्लींथ लेबल तक निर्माण होने के बाद एक बार पुन: जीओ टेग का फोटो खींचा गया लेकिन कोई भी राशि उनके खाते में ट्रांसफर नहीं की गई और न ही इसके विषय में कोई जानकारी ही दी गई. शासकीय राशि आने की उम्मीद में काम लगातार जारी रहा और दीवारें उठकर छत ढालने की तैयारी कर रहे महेन्द्र यादव को काम रोकने कहा गया. इसके पश्चात बगैर हितग्राही की जानकारी दिए नगर पंचायत की टीम के साथ अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचकर निर्माणाधीन मकान को धराशायी कर दी और मलबा के साथ मटेरियल ले गए. इस मामले में तहसीलदार पी.एल.नाग से मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत ने इसे ढहाया है।


एक ओर जहाँ जरूरतमंद गरीब का आवास विभागीय अधिकारियों व्दारा तोड़ कर उसे कर्ज में लाद दिया है वहीं सक्षम शासकीय कर्मचारियों के परिवार को नियमों को ताक पर रख पक्का मकान बनाकर दे रहे हैं. नियमों को ताक में रखकर शासकीय राशि का दुरूपयोग को रोकना प्रशासनिक अधिकारियों का काम है लेकिन शासन-प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर गंभीर नहीं हैं. प्रधानमंत्री आवास में विगत पांच वर्षों में अनेक मामले हैं, जिनकी जांच किये जाने की आवश्यकता है और नियमों को तोडऩे वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही किये जाने की जरूरत है ताकि शासकीय राशि के दुरूपयोग को रोका जा सके।

श्रीकांत कोर्राम अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) डोंगरगांव ने कहा कि

  अभी  मुझे जानकारी नहीं है, मामला किसी भी माध्यम से मेरे संज्ञान में आता है तो आवश्यक जांच कर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

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