क्षेत्र में अवैध ईंट भट्टों का संचालन,अनेक विभाग सवालों के घेरे में,नियम हुए दरकिनारे
विद्युत, राजस्व, वन, खनिज सहित पंचायत विभाग की भूमिका संदेह में
दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगाँव।अंचल के पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक सुस्ती के चलते बड़ी संख्या में ईंट भट्टे संचालित किए जा रहे हैं. इन ईंट भट्टों में जहां बड़ी मात्रा में पेड़ों की कटाई कर लकड़ी के साथ साथ मुर्गी खाद का उपयोग किया जा रहा है, वहीं ईंट निर्माण के लिए मिट्टी की खुदाई बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. जहां अनेक ग्रामों में पानी की किल्लत सामने आती है, वहीं इन ईंट भट्टों में किसानी के नाम से किये गए बोर से बकायदा पानी की सप्लाई की जा रही है जबकि इन ईंट भट्टों में विघुत सप्लाई के लिए बेतरतीब ढंग से असुरक्षित वायरिंग किया गया है और यह सप्लाई भी किसानों को खेती के लिए दिया गया है. ऐसा ही एक मामला ग्रामीण क्षेत्रों का है, जहाँ बड़ी संख्या में अवैध ईंट भट्टे संचालित की जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि कई वर्षों से संचालित इन ईंट भट्टों की जानकारी ग्राम पंचायत के पास भी नहीं है. ना ही राजस्व विभाग के पास है खुलेआम शासकीय जमीन में यह कारोबार लंबे समय से चल रहा है शासन प्रशासन के निर्देश में ईषपस्ट उल्लेख है प्रदूषण के चलते लाल ईट पर प्रतिबंधित किया गया है उनके बावजूद दूसरे क्षेत्र के लोग इस क्षेत्र में आकर ऐसे ही कारोबार में लिप्त है लाल ईट पकाने के नाम से हर ईट भट्ठे में मुर्गी खाद का उपयोग किया जा रहा है जो पूरे गांव के साथ साथ पूरे क्षेत्र में वातावरण को प्रदूषित कर रहा है इनके अलावा प्रतिवर्ष पानी की किल्लत भी होती है समीप के खेतों में अनेक बोर किसानी कार्य के लिए किये गए हैं किन्तु इनका पानी इन भट्टों में काम आता है. विद्युत विभाग व्दारा किसानों के उपयोग के लिए कनेक्शन तो दे दिया गया है किन्तु इस बिजली को किसान बेचकर अपनी जेब भर रहे हैं. मौके पर भट्टा संचालकों से चर्चा के दौरान पता चला कि वे ईंट भट्टा संचालन के लिए प्रत्येक ईंट भट्टे के लिए कुछ ग्रामीणों को सालाना एक बड़ी राशि पहुंचाते हैं जबकि पंचायत प्रतिनिधि से मिली जानकारी के अनुसारग्राम पंचायत के खाते में अब तक कोई राशि जमा नहीं की गई है और न ही ग्राम पंचायत के आलावा राजस्व विभाग तथा खनिज विभाग के से कोई भी परमिशन नही लिया गया है सभी संचालित भट्टों की जानकारी ही है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर रहे राजस्व विभाग के कर्मचारी, वन विभाग, खनिज विभाग, ग्राम पंचायत सचिव, विद्युत विभाग के कर्मचारी सहित सभी विभाग के अधिकारियों पर भी अनेक सवाल उठने लगा हैं. समय रहते इन ईंट भट्टों से ग्राम पंचायत को राजस्व क्यों नहीं मिल पा रहा है. बिजली का उपयोग फसल के बजाए ईंट का व्यापार करने के लिए बेचा जा है. ईंटों को पकाने के लिए ठेकेदारों के माध्यम से बेधडक़ जंगल की लकड़ी काटा जा रहा है, जिसमें वन विभाग की ओर से कभी कोई कार्यवाही देखने नहीं मिली है. आखिर इन अवैध ईंट भट्टों के संचालन में सभी विभागों की मौन स्वीकृति क्या इशारा करती है. एक मामला केवल एक ग्राम का नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र का है समय रहते जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दिया तो लोग इस प्रदूषण से लपेटे में आकर स्वास्थ्य खराब हो जाएगा संघर्ष समिति के सदस्यों ने शीघ्र ही इस मामले को लेकर स्थानीय और जिला प्रशासन का घेराव करेगी।
पी एल नाग तहसीलदार ने कहा कि
ग्रामीण क्षेत्रों में ईट भट्ठे की लगातार शिकायत मिल रही है वर्तमान में गिरगांव मारगांव में लगभग पचास हजार ईट जप्त की कार्यवाही की गई है आगे कार्यवाही जारी रहेगी।