जिले के 87 अमृत सरोवर को दिया गया बेहतरीन स्वरूप,जल संरक्षण की दिशा में बढ़ाए गए सशक्त कदम

अमृत सरोवर से हो रहा जल संरक्षण एवं आजीविका संवर्धन, सरोवर हमारी प्राचीन संस्कृति का अभिन्न अंग

दैनिक बालोद न्यूज/राजनांदगांव।आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जिले में अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है। सरोवर हमारी धरोहर हैं। जल संरक्षण के साथ ही यह हमारी प्राचीन संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। सरोवर के रूप में हमारे धरोहर को सहेजने के लिए जिले के 87 अमृत सरोवर को बेहतरीन स्वरूप प्रदान किया गया है। कलेक्टर श्री डोमन सिंह के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री अमित कुमार के निर्देशन में अमृत सरोवर में आजीविका संवर्धन के लिए कार्य किया जा रहा है। राजनांदगांव जिले में जिला पंचायत के माध्यम से कुल 87 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसमें से वर्तमान में शत-प्रतिशत अमृत सरोवरों के निर्माण पूर्ण कर वर्षा ऋतु में वर्षा जल के संरक्षण हेतु तैयार है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक अमृत सरोवर में न्यूनतम 10 हजार घनमीटर पानी संग्रहित होगा। जो कि आने वाले समय में साल भर पानी की उपलब्धता को बनाये रखेगा। इन सभी अमृत सरोवरों को आजीविका गतिविधियों से जोडऩे हेतु प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर सरोवरों को समूहों से जोड़कर आजीविका में वृद्धि की जा रही है। सभी 87 अमृत सरोवरों में गुणवत्ता का ध्यान रखते हुये पानी आने के लिए इनलेट व पानी बाहर जानेे के लिए आउटलेट तथा योजना के क्रियान्वयन हेतु पंचायत स्तर के नोडल अधिकारी उपयोगकर्ता समूह आस-पास के नागरिकों को जोड़कर ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है।

प्रत्येक अमृत सरोवर में न्यूनतम 10 हजार घनमीटर पानी होगा संग्रहित

राज्य शासन द्वारा आयुक्त मनरेगा कार्यालय से आए मुख्य अभियंता श्री कटारे ने जिले के 7 से अधिक अमृत सरोवर का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। वर्तमान में सभी अमृत सरोवर में वृक्षारोपण हेतु गड्ढों की खुदाई का कार्य पूर्ण कर वर्षा ऋतु के प्रारंभ से ही वृक्षारोपण का कार्य किया जायेगा। भारत शासन एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अमृत सरोवर के सदुपयोग एवं अधिक से अधिक जल संग्रहण के लिए इन्हें विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। इन्हें अधिक से अधिक उपयोगी बनाये जाने हेतु निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। जिसमें वर्तमान में राजनांदगांव जिले के द्वारा गतिविधियों के अंतर्गत मछली पालन, कमल के फूल की खेती, सिंघाड़े की खेती, मखाने की खेती एवं कपड़े धोने का व्यवसाय, सिंचाई सुविधा जैसी आजीविका गतिविधियों की योजना तैयार की जा रही है।

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