रेत का अनोखा नजारा सुबह से दोपहर तक चल रहा अवैध उत्खनन

नही हो रही रेत माफियाओं के ऊपर कार्यवाही

दैनिक बालोद न्यूज/संजय साहू/अंडा। ब्लाक व थाना गुण्डरदेही क्षेत्र से 12 कि. मी. के दूरी पर ग्राम पंचायत देवरी (ख ) गाँव हैं। जहां तान्दुला नदी व नालों का जल स्तर कम हो गया है। जिसका फायदा उठाकर रेत का अवैध उत्खन शुरू कर दिया गया है। जिले में अवैध खनन एक ऐसा रोग हो गया है, जिसकी जितनी दवा की जाती है, वह उतना बढ़ता जाता है। यानी सरकार नदियों में रेत के अवैध खनन को लेकर जितनी सख्त हो रही है, नदियों का सीना उतना ही छलनी हो रहा है। यहाँ बिना पंचायत के प्रस्ताव  व बिना रॉयल्टी रसीद के हो रही हैं  अवैध रेत खन्न , गुण्डरदेही थाना व खनिज विभाग व जनप्रतिनिधियों के कमीशन खोरी से सुबह 4 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक निकालते है , अवैध रेत जिससे शासन प्रशासन आँख बंद कर बैठे हुए हैं। खनिज विभाग को फोन लगाने पर फोन नहीं उठाते सब के मिली भक्त से यहाँ रेत का अवैध खन्न चल रहे हैं।  लेकिन इसके बावजूद नदी को छलनी किया जा रहा है। तादुंला नदी से रेत निकाली जा रही है।

तो वहीं नदियों में रेत का अवैध खनन जोरों पर है। कभी-कभार कुछ छोटे रेत चोरों के खिलाफ कार्रवाई कर संबंधित विभाग अपनी पीठ थपथपा लेता है। वर्तमान में विकास खंड गुण्डरदेही अंतर्गत ग्राम देवरी (ख) क्षेत्र में इन दिनों राजस्व, बफर, वन सामान्य सीमा से अवैध उत्खनन करने वाले माफिया बेखौफ होकर और खनन कर रहे हैं। सुबह से ही आधा दर्जन ट्रेक्टर नदी में उतर जाते हैं। सुबह से दोपहर तक ट्रेक्टरों की धमाचौकड़ी जारी रहती है। लेकिन इस पर संबंधित विभागों की कोई कार्रवाई जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देती है। खनिज विभाग भी जिले के नादियों से निकल रही अवैध रेत को रोकने में असफल दिखाई दे रहा है। जबकि प्रशासन को सूचना देने के लिए जिला प्रशासन का मैदानी अमला हर गांव हर पंचायत में तैनात है लेकिन क्षेत्र में चल रहे रेत के अवैध उत्खनन की सूचना खानिज विभाग, पुलिस व जिला प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती। जब तक जिला प्रशासन को खबर मिलती है तब तक रेत माफिया फरार होने में कामयाब हो जाता है। कमजोर सूचना तंत्र का फायदा उठाकर रेत का करोबार ग्राम देवरी (ख ) गाँव में तेजी से फल-फूल रहा है। वही दूसरी ओर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे है। इसके साथ ही नादियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है और अवैध उत्खनन के क्षेत्रों में जल संकट गहराता जा रहा है। कई जगह नदियों में रेत का इतना खनन कर दिया गया है कि नदी की धारा में ही परिवर्तन हो गया है। जिसके चलते भविष्य में इन नदियो की बहने की दिशा ही बदल जाएगी और लोगों को बाढ़ जैसी विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं प्रशासन को राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। यह ना तो रॉयल्टी रसीद होती है और ना ही इसका पैसा पंचायत को जाता है। फिर सुबह सुबह 4 बजे से 1 बजे तक  भरतेे हैं रेत का  चोरी  ट्रैक्टर ट्राली  में कम से कम 3000 से 4000 हजार तक के दामों मे  बेख़ौफ़ बेचा जा रहा है। रेत माफिया का हौसला बुलंद होते जा रहा है। शासन प्रशासन कोई कार्रवाई नही की जा रही हैं।

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