अगर आपके विरुद्ध अजमानतीय धाराओं के तहत झूठा एफआईआर किया गया हो तो क्या करे

साइबर एक्सपर्ट निरीक्षक रोहित मालेकर ने साझा किया जागरूकता के लिए

दैनिक बालोद न्यूज। दोस्तो कई बार देखने में आता है की द्वेष वश ,बदला लेने की नियत से थाने में अजमानतीय धाराओं के तहत एफ आई आई आर दर्ज करा दी जाती है ,ऐसे में एक आम व्यक्ति को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है ,अगर धारा ऐसी है जो अजमंतीय प्रकृति की है आपको भय है की पुलिस आपको गिरफ्तार कर जेल में डाल सकती है तो आपको क्या करना चाहिए..
अगर किसी ने आपके विरुद्ध झूठा एफ आई आर दर्ज कराया है और इस बात का आपके पास पर्याप्त सबूत है तो आप सी आर पीसी की धारा 438 में निहित प्रावधानो के तहत आपको अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगानी चाहिए,जिससे आपकी गिरफ्तारी पर रोक लगेगी ,जमानत के बाद आपको थाने में जाकर केवल हस्ताक्षर करने पड़ेंगे।


सी आर पी सी की धारा 482 के तहत हाई कोर्ट को विशेष पावर है की ऐसी झूठे एफ आई आई को वह खारिज कर सकता है उसके बाद एफ आई को खारिज करने के लिए आप 482 की अर्जी पर्याप्त सबूत के साथ अविलब लगा सकते है। भजन लाल वर्सेज हरियाणा बाद में भी मेलाफाइड इन्तेंसन को खारिज करने के स्पष्ट वार्डिक्ट कोर्ट द्वारा दिए गए है।।

ध्यान रहे ये सारे प्रावधान केवल झूठे एफ आई आर के लिए है ,जिसके विरुद्ध आपके पास पर्याप्त सबूत या आधार होना चाहिए

एफ आई आर खारिज होने के पश्चात आप झूठा रिपोर्ट करने वाले के विरुद्ध धारा 182,211 आईपीसी के प्रावधान के अनुरूप कोर्ट में परिवाद कर सकते है।।

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