इस जिले के मेडिकल कॉलेज का मान्यता ख़तरे में नजर आ रहे हैं, वजह जाने आखिर क्यो ख़तरे में है मान्यता

दैनिक बालोद न्यूज/राजनांदगांव।संस्कारधानी राजनांदगांव जिले के  मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलने वाली थी तब एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) ने हॉस्पिटल के ओपीडी का हालचाल जानना था, और ओपीडी के चलते ही मेडिकल कॉलेज  की मंजूरी मिली थी। अब पूरी तरह अपने अस्तित्व में जब मेडिकल कॉलेज आ चुका है, तब एक नया बखेड़ा सामने आ गया, जिसमे जिला अस्पताल को अलग करने की बाते सामने आने लगी है। अब यदि जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज से अलग होता है, तो मेडिकल कॉलेज की ओपीडी लगभग शून्य हो जाएगी, जिसके चलते मेडिकल कॉलेज की मान्यता खत्म हो सकती है।

वर्तमान स्थिति में बिना जिला अस्पताल के मेडिकल कॉलेज का संचालन हो पाना सम्भव नही है। और तब जब मेडिकल कॉलेज पीजी की तैयारी में जुटा हुआ है। जिला अस्पताल यदि अपने स्थान पर संचालित रहता भी है, तो मरीजों को वह इलाज नही मिल पायेगा जो मिलना चाहिए। मेडिकल कॉलेज शहर से कुछ दूर जरूर है, लेकिन आवश्यकता के सभी संसाधन जो एक मरीज को मिलना चाहिए वहां मौजूद है। शराब लेने के लिये 5 किलोमीटर इंसान जा सकता है, ईलाज करवाने में कुछ दूर का सफर तो तय कर ही सकते है। और जब बेहतर व्यवस्था और इलाज संभव है तो। जिस प्रकार शंकरपुर, मोतीपुर,लखोली में अर्बन पीएससी (शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे है, उसी तर्ज पर बसन्तपुर हॉस्पिटल में भी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन किया जा सकता है।जिससे प्राथमिक ईलाज सम्भव हो। शहरवासियों को थोड़ा अतीत में झांककर देखना चाहिए, किसी जमाने मे राजनांदगाँव शहर का नाम हिंदुस्तान के मानचित्र पर बीएनसी मिल के कारण जाना और पहचाना जाता था, समय का चक्र और राजनीतिक उथलपुथल में बरसों पुराने उद्योग को छीन लिया, अब शहर और जिले के एक मात्र पहचान मेडिकल कॉलेज का अस्तित्व भी खतरे में नजर आ रहा है, कहीं ऐसा ना हो जाये कि बीएनसी मिल की तर्ज पर मेडिकल कॉलेज भी राजनीति की भेंट चढ़ जाए । जिलेवासियों और शहरवासियों को अब चाहिए कि मेडिकल कॉलेज की बेहतरी के लिए काम और आंदोलन करें, जिससे मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त  डॉक्टर,नर्स, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी, सुरक्षा गार्ड, आवश्यक मशनिरी और अन्य उपकरण जल्द से जल्द उपलब्ध हो पाए ।