सरकार के भू राजस्व के दो फैसले हैं घातक- छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना
बालोद/रायपुर। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने वर्तमान सरकार के भू राजस्व के दो फैसलों का विरोध किया है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रांत अध्यक्ष अमित बघेल का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार के वर्तमान के भू-राजस्व के दो फैसले छत्तीसगढ़ियों के लिये अत्यंत घातक हैं। इनके तहत उद्योगपतियों को दस दस एकड़ तक फ्री होल्ड जमीन बांटने तथा शहरी क्षेत्रों में सरकारी तथा नजूल के जमीन पर कुंडली मारकर बैठे अवैध कब्जा करने वाले अपराधियों को ही उस जमीन को आबंटित करने का फैसला छत्तीसगढ़ के इतिहास का अब तक का सबसे गलत फैसला है। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल ने सरकार की इस आत्मघाती नीति पर कड़ा विरोध करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की एक-एक इंच जमीन को हम छत्तीसगढ़ महतारी का अंग समझते हैं । इस माटी पर सिर्फ और सिर्फ यहां के माटीपुत्र किसानों का अधिकार है । किससे पूछकर बाहरी मूल के राजस्व मंत्री ने छत्तीसगढ़ महतारी के शरीर का सौदा करने की हिमाकत की है ? क्या छत्तीसगढ़ियों को यही दिन दिखाने के लिये जयसिंह अग्रवाल को राजस्व मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग दे दिया गया। जिसके ऊपर जमीन हड़पने संबंधी दर्जनों 420 के मामले पहले से ही चल रहे हैं। वह बताए कि अपने मूल प्रदेश से कितने एकड़ जमीन लेकर छत्तीसगढ़ आए थे?
जमीनों का बंदरबाट बर्दाश्त नही करेंगे
अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ की जमीन का बंदरबांट अपने लोगों को करने का षड़यंत्र हम उसे करने नहीं देंगे। क्रान्ति सेना का कहना है छत्तीसगढ़ की धरती भू माफियाओं और जमीन चोरों से पहले से ही आतंकित रही है। पिछले सरकार के नुमाइंदों और कैबिनेट मंत्रियों तक के द्वारा छत्तीसगढ़ की हजारों एकड़ कृषि और वनभूमि हड़पने , दानपत्र लिखाकर करामात करने के कारण ही उन्हें जनता के द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया गया था। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का सवाल है क्या मौजूदा शासन का नियंत्रण आज भी उन्ही जमीन लुटेरों के हाथों में है ? क्या हमने सत्ता नागनाथ से छीन कर सांपनाथ के हाथों में सौंपने की गलती कर दी है? सरकार के इस एक भयंकर निर्णय के चलते आज भू माफियाओं की गिरोहबंदी चालू हो गई है । बाहरी अपराधियों की भीड़ आज एसडीएम, तहसील और पटवारी कार्यालयों को घेरे हुए हैं ।
बाहरी लोगों का शुरू हो गया कब्जा
बाहरी लोगों के द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ के सरकारी , नजूल और जंगल की जमीनों पर रातोंरात कब्जे चालू हो गये हैं । अधिकांश उद्योगपति आज किसानों की जमीन पर लीज पर काबिज हैं , चिन्हित भूमि के अलावा अधिकतर ने बेजा कब्जा किया हुआ है । उनको दस एकड़ फ्री होल्ड भूमि देने से पहले क्या सरकार ने उन किसानों से कोई सलाह लिया है ? एक भी गरीब छत्तीसगढ़िया आज इस स्थिति में नहीं है कि सरकारी जमीन कब्जाए या उसे खरीद सके। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का कहना है कि हम छत्तीसगढ़ को, छत्तीसगढ़ महतारी को परदेसियों के हाथों बिकने नहीं देंगे। आंदोलन हो या अदालत में ,सड़क में हो या जंगल में , हम आखिरी सांस तक अपने जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ेंगें।