ब्रेकिंग न्यूज़- गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद बने संसदीय सचिव, 14 जुलाई को रायपुर में लेंगे शपथ, जानिए क्या होगा उनका दायित्व, पढ़िए सिर्फ दैनिक बालोद न्यूज़ पर कैसे बढ़ेगा कुंवर का कद?

ये तस्वीर कुछ कहती है, मानो भगवान ने सुन ली

दीपक यादव,बालोद। जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के विधायक कुंवर सिंह निषाद निवासी अर्जुंदा को संसदीय सचिव बना दिया गया है छत्तीसगढ़ में 15 विधायको को संसदीय सचिव बनाया गया है। जिसमें सीएम भूपेश बघेल ने गुंडरदेही विधायक को भी संसदीय सचिव का दर्जा दे दिया है। सभी संसदीय सचिव को 14 जुलाई को शाम 4 बजे रायपुर निवास कार्यालय पर आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। ज्ञात हो कि कुंवर सिंह निषाद जिले के अलावा पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे इस जीत के साथ में पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा में आए थे उन्हें संसदीय सचिव बनाए जाने पर गुंडरदेही विधानसभा के अलावा पूरे जिले में खुशी का माहौल है तो वहीं कांग्रेसियों ने भी इसे जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए विधायक को बधाई दी।

क्या काम होता है संसदीय सचिव का
विभागीय जानकारी के अनुसार संसदीय सचिव विधानमंडल का एक सदस्य होता है। जो अपने कार्यों द्वारा अपने से वरिष्ठ मंत्रियों की सहायता करता है। मूल रूप से इस पद के निर्माण का उद्देश्य भावी मंत्रियों के प्रशिक्षण के लिए किया गया था।

पिछले साल से ही चल रही थी कांग्रेस सरकार द्वारा संसदीय सचिव नियुक्ति की तैयारी
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले साल से ही छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिव नियुक्त करने की तैयारी की जा रही थी। भाजपा सरकार की तरह कांग्रेस की वर्तमान सरकार संसदीय सचिवों की नियुक्ति पिछले साल से ही करने की प्लानिंग कर रही थी। भाजपा सरकार की तरह कांग्रेस की वर्तमान सरकार ने भी 15 विधायकों को संसदीय सचिवों का दर्जा दे दिया है। कांग्रेस सरकार का मानना है कि हमारी सरकार के संसदीय सचिव मंत्री के रूप में कार्य नहीं करेंगे। बल्कि लाभ का पद लिए बगैर सहायक के रूप में कार्य करेंगे। न्यायालय के निर्देशों का पालन करेंगे।

कांग्रेस ने ही किया था इसका विरोध
पूर्व में छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने 11 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करते हुए उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। तब कांग्रेस के मोहम्मद अकबर (वर्तमान वन मंत्री) और रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर कर इन नियुक्तियों को चुनौती दी थी। न्यायालय में याचिकाएं खारिज कर दी थी तथा अपने पूर्व के आदेश को यथावत रखा था कि संसदीय सचिव अपने पद पर बने रहेंगे लेकिन इस समय मंत्री के तौर पर मिलने वाले अधिकार और अन्य सुविधाओं का उपभोग नहीं कर सके। बहरहाल मामला चाहे जो भी हो भाजपा सरकार की तर्ज पर कांग्रेस सरकार ने भी अपने 15 विधायकों को संसदीय सचिव का दर्जा दे दिया है।