लापरवाही:बंद पड़े डामर प्लांट में फंस कर मर रहे मवेशी शासन प्रशासन घटना से अंजान,

न तो सुरक्षा घेरा, ना ही कोई चौकीदार

दैनिक बालोद न्यूज/डोंगरगांव।नगर से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बीजाभांठा के करीब बंद पड़े डामर प्लांट में कुछ दिनों से लगातार मवेशियों के फंसकर मौत के गाल में समा जाने की घटना सामने आई है। बंद पड़े उक्त डामर प्लांट में न तो किसी प्रकार का सुरक्षा घेरा है और न ही प्लांट मालिक द्वारा वहां कोई चौकीदार ही रखा गया है। शासन प्रशासन भी अभी तक इस तरह की घटनाओं से अंजान है, अब सवाल यह है कि मवेशाी मालिकों के नुकसान की भरपाई किस तरह होगी।


ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार

कुछ ग्रामीण जब डामर प्लांट की ओर गये तब उन्हें प्लांट में फंसे मवेशियों की जानकारी हुई। जिसके बाद आसपास के गांव के कुछ ग्रामीण प्लांट पहुंचे और वहां फंसे मवेशियों को निकालने की कवायद शुरू की गई। इस दौरान एक बछड़ा भी मिला, जिसके पूरे शरीर में डामर पूरी तरह से चिपका हुआ था। बमुश्किल उसे निकाला गया, बछड़े की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
इसके अलावा डामर प्लांट में डुबे हुए कुछ मवेशियों के अवशेष भी दिखाई पड़ रहे हैं, अवशेष को निकालने के बाद ही पता चल पायेगा कि और कितने मवेशी डामर प्लांट के मालिक की लापरवाही के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
ग्रामीणों के अनुसार लगभग 6 माह पूर्व से ही डामर फैक्ट्री बंद है, जिसके बाद से वहां इस प्रकार की घटना होती आ रही है। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि यदि कोई व्यक्ति डामर प्लांट के दलदल में फंस जाये तो उसका भी बच पाना मुश्किल है। फिर मवेशियों की तो बात ही अलग है।


अभी तक 10 से अधिक मवेशी गंवा चुके हैं अपनी जान


ग्राम पंचायत गुंगेरी नवागांव व अश्रित ग्राम घुघवा लक्ष्मीनगर के सुरेन्द्र साहू, अशोक साहू, होम प्रकाश साहू, बलीराम साहू सहित अन्य के अनुसार अभी तक उक्त डामर प्लांट में 10 से अधिक मवेशियों के फंसकर अपनी जान गंवा लेने की जानकारी सामने आई है। बताया जाता है कि गांव के मवेशियों को रोजाना चरवाहा चराने के लिए खुले और घांस मैदान की ओर ले जाता है। शुक्रवार को कुछ पशु चरते चरते एक दूसरे के पीछे बीजाभांठा गांव के मुख्य मार्ग पर स्थित डामर प्लांट के पास चले गये, जिसमें कुछ बछड़े सहित 10 से अधिक पशु थे।
उक्त मवेशी डामर प्लांट में फंस गये, उनमें से कुछ पशुओं को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, परन्तु एक बछड़ा डामर के एक गड्ढे में बुरी तरह से फंस गया, उसका सिर्फ सिर ही नजर आ रहा था। काफी देर मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने उसे बाहर निकाला। लेकिन काफी देर फंसे रहने और पूरे शरीर में डामर चिपके होने के कारण उसे सांस लेेने में परेशानी हो रही है। जानकारों के अनुसार उसकी स्थिति गंभीर है।


50 हजार लगेगें इलाज में


गंभीर बछड़े के मालिक सुरेन्द्र साहू के अनुसार घटना के बाद बछड़ा उठ नहीं पा रहा है। ना ही खाना खा पा रहा है। इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाने पर डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद उसके शरीर से डामर छुड़ाने की कवायद प्रारंभ की है। बछड़े के इलाज में अभी तक काफी पैसा मवेशी मालिक द्वारा खर्च किया जा चुका है। उसके बाद भी अभी और 50 हजार रूपये खर्च होने की संभावना है। इसके बाद भी डॉक्टर ने बछड़े के जान बच जाने की गारंटी नहीं दी है।


सामान छोडक़र भागे है कंपनी वाले


ग्रामीणों ने बताया कि जब डामर प्लांट चालू था, तब वहां बहुत से मजदूर व कर्मचारी रहते थे पर लगभग 6 माह पूर्व ही कंपनी के लोग बिना सूचना व जानकारी के रातोंरात अपना सामन छोडक़र चले गये। वे अपने पीछे खुले मैदान में बिना सुरक्षा के 3 एकड़ के क्षेत्र में फैले डामर को छोड़ गये हैं। इसके बाद से उक्त प्लांट में कुछ ना कुछ हादसा होता आ रहा है। घटना की सूचना डामर प्लांट के एक जिम्मेदार को ग्रामीणों द्वारा दी गई है, लेकिन उसने भी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
ग्रामीणों ने की कार्यवाही तथा मुआवजे की मांग
ग्रामीणों ने डामर प्लांट को बगैर सुरक्षा घेरे और चौकीदार के खुला छोड़ देने पर संबंधित प्लांट मालिक के ऊपर कठोर कार्यवाही की मांग की है। वहीं शासन प्रशासन से भी मुआवजे की मांग की है। बताया जाता है कि ग्रामीणों ने सोमवार को इस मामले मेंं शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों से शिकायत की मंशा जताई है।