आंगनबाड़ी केंद्रों में मनाया गया विश्व स्तनपान सप्ताह तो इधर कोरोना के खतरे के बीच कार्यकर्ता गृहभेंट भी कर रही
बालोद। जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में इन दिनों विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसमें माताओं को बच्चों के नियमित देखभाल को लेकर जागरूक किया जा रहा है। सभी माताओं को यह प्रेरित किया जा रहा है कि वे छह माह तक अपने बच्चों को सिर्फ दूध ही पिलाए और कोई आहार बिल्कुल ना दे।
पानी तक भी उन्हें ना पिलाए तो वहीं इस सप्ताह के साथ-साथ केंद्रों में शिशु संरक्षण माह भी चल रहा है। जिसके तहत बच्चों को विटामिन ए का घोल भी पिलाया जा रहा है तो वहीं उनका वजन भी किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मक़सद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्त्व की जानकारी दी जाती है। नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत के समान है। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।
क्या बोले बीएमओ व शिशु रोग विशेषज्ञ
बालोद के बीएमओ व शिशु रोग के जानकार डॉक्टर एस के सोनी ने बताया कि प्रसव के तुरंत बाद अथवा 6 माह पूरा होने पर उपरी आहार के साथ मां का दूध कम से कम दो साल तक बच्चे को पिलाना है। सिर्फ मां का दूध ही शिशु को पूरा पोषण देता है और बच्चे के संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास में सहायक होता है। कंगारू मदर केयर के बारे में प्रसूताओं और माताओं को जानकारी दी जा रही है। 6 माह की आयु तक केवल मां का दूध पिलाए जाने से बच्चा बार-बार बीमार नहीं पड़ता। यह दूध शिशु को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। जन्म के पहले घंटे में सिर्फ मां का दूध नवजात के लिए जीवन रक्षक बूंद है।
गृह भेंट से बढ़ा संक्रमण का खतरा
तो वहीं शासन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे बच्चों माताओं के घर जाकर गृह भेंट करें और उन्हें स्वास्थ्य की जानकारी दें। इस दौरान कई जगह कार्यकर्ताओं को सामूहिक रूप से बैठना पड़ता है तो वहीं इसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग के अफसरों को भी भेजनी होती है। ऐसे में कुछ कार्यकर्ताओं ने यह सवाल भी उठाया है कि एक तरफ जहां शिक्षक संगठन मोहल्ला क्लास का विरोध कर रहे हैं कि इससे कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है तो फिर हमें इस तरह विभिन्न अभियान के नाम पर भीड़ जुटाने के लिए क्यों दबाव बनाया जा रहा है। इससे हमें भी खतरा बना रहेगा।