नगर के सोनऊ कुंभकार के परिवार मिट्टी को दे रहे हैं अनेक स्वरूप

नगर के इन मूर्तिकारों को हस्तशिल्प कला बोर्ड ने सम्मानित भी किया जा चुका है

दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।डोंगरगांव नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 6 निवासी कुम्हार पारा डोंगरगांव के प्रसिद्ध मूर्तिकार सोनऊ कुंभकार ने अपने परिवार के पत्नी लीलाबाई पुत्र बलराम गजेंद्र एवं देवेंद्र कुमार के साथ देवी देवताओं के अनेक रूप प्रतिमा देने के बाद एक बार फिर पूरे परिवार गर्मी के दिनों में व्यस्त हो गए हैं और मिट्टी को विभिन्न प्रकार के स्वरूप दे रहे हैं इनके परिवार दीपावली के पूर्व उपयोगी मां लक्ष्मी भगवान गणेश की प्रतिमाओं के साथ घरों को रोशन करने वाले मिट्टी के दिए साथ ही अनेक प्रकार के खिलौने बनाने के बाद जैसे-जैसे त्यौहार नजदीक आते हैं वैसे हैं उनके परिवार मिट्टी को अनेक स्वरूप देकर कार्य तेजी से करते हैं नगर के प्रसिद्ध मूर्तिकार व हस्त शिल्प कला बोर्ड से सम्मानित स्वर्गीय उमराव कुंभकार के भाई सोनऊ कुंभकार ने अपने पूरे परिवार सहित इस काम में जुट गए हैं पूरा परिवार मिट्टी को अनेक स्वरूप देकर मूर्ति व अन्य खिलौने मे अनेक प्रकार के आकृति देकर अपना परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं नवरात्रि के पूर्व त्योहारों में भी अनेक प्रकार के प्रतिमा बनाई थी उन्होंने भगवान की प्रतिमा को कई रूप देने वाले इन मूर्ति कारों ने अपनी मिट्टी और परंपराओं को जीवित रखा है नगर के इन मूर्तिकारों को हस्तशिल्प कला बोर्ड ने सम्मानित भी किया गया है।

इनका पूरा परिवार द्वारा बनाए गए मूर्तियों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के गमले पूजा सामग्री व गर्मी के दिनों में खासकर सुराही थरमस पानी मटका दही कुंडी नारियल का दिया कछुआ दिया घंटी कंदील गुलदस्ता अनानास इनके अलावा विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं का प्रतिमा साथ ही मुसलमानों की शादी के अनेक प्रकार के बर्तन व अन्य सामग्री बनाया जाता है इनके मिट्टी के बनाए हुए विभिन्न प्रकार के प्रतिमा व अन्य सामग्री को छत्तीसगढ़ के रायपुर राजनांदगांव दुर्ग भिलाई गरियाबंद इनके अलावा मध्य प्रदेश राजस्थान व अन्य शहरों में भी उनकी मांग हुई है मौके पर इन जमीन से जुड़े कुम्हारों ने डोंगरगांव संवाददाता से चर्चा के दौरान बताया है कि वर्तमान में मिट्टी की बहुत ही किल्लत हो रही है जिनकी वजह से मिट्टी को दुर्गम ग्राम से ढोना पड़ रहा है सरकार द्वारा कुंभकारों के लिए विशेष योजना बनानी चाहिए जिनसे घर बैठे मिट्टी की किल्लत से निजात मिल सके।

देवेंद्र कुमार का कहना है कि

वर्तमान में मिट्टी को बड़ी मेहनत से गढ़ने के बाद उन्हें पकाने में बहुत ही मेहनत लगता है तब कहीं जाकर बाजार में मोलभाव के बाद दाम मिलता है बाजार में मांग के अनुसार मिट्टी के अनेक प्रकार से बने मिट्टी की बर्तनों की मांग होती है गर्मी के इन दिनों में खासकर इन दिनों मटका थरमस की मांग बहुत ज्यादा है इन दिनों सोनऊ कुंभकार के परिवार से बनाए गए मिट्टी के अनेक प्रकार के सामग्री की मांग के साथ-साथ इनकी कला की पूरे क्षेत्र में चर्चा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *