ग्रामीणों ने लिया संकल्प, पालतू मवेशियों को आवारा नहीं छोड़ेंगे 

बालोद। रोका छेका अभियान के तहत 19 से 30 जून तक विविध कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसके तहत पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा ग्रामीणों को भी संकल्प पत्र भरवा कर उनसे संकल्प लिया जा रहा है।
कि वह इस व्यवस्था में साथ देंगे। इसी क्रम में ग्राम पंचायत भोथली में भी रोका छेका कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां मौजूद सरपंच, पंच सहित सभी ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से संकल्प लिया कि हम अपने घर के पालतू मवेशियों को सड़क पर या खेत में आवारा घूमने के लिए नहीं छोड़ेंगे। गांव की व्यवस्था को बनाए रखेंगे ताकि गोवंश का भी विकास हो और किसानों को फसल को कोई नुकसान ना हो। सरपंच केशव गंधर्व, जनपद सदस्य सीता साहू ,पंच संतराम निषाद, रोहित कुमार मंडावी, रतनू राम, लक्ष्मण निषाद, सुमन राम, नकुल राम, भीम राम, महेंद्र कुमार, रामकली, रीना, हेमंत, तीजनबाई देवांगन, शिवबति, अमृत विश्वकर्मा, अन्नपूर्णा ने संकल्प लेकर गांव को साफ स्वच्छ व दुर्घटना मुक्त रखने की भी बात कही।
इन बातों का लिया जा रहा है संकल्प

सभी ग्रामीणों व पंचायत प्रतिनिधियों को एक संकल्प पत्र भरवाया जाता है। सभी यह संकल्प लेते हैं कि मैं अपने पालतू पशुओं को अपने स्थान पर रखकर चारा पानी की समुचित व्यवस्था कर लूंगा। अथवा चारवाहे के साथ चराने के लिए भेजूंगा गांव की गलियों अथवा खेतों में आवारा घूमने के लिए नहीं छोडूंगा गांव के खेतों में फसलों व उद्यानों में अपने पालतू मवेशियों का प्रवेश रोकने के लिए स्वयं की व्यवस्था कर लूंगा या फिर सामूहिक व्यवस्था में सहायता करने के लिए वचनबद्ध हूं। ग्राम में आज से हम रोका छेका व्यवस्था को लागू करने के लिए शपथ लेते हैं। मवेशियों को हम गौठान में चरवाहे की निगरानी में रखेंगे तथा इनके लिए गौठान में पर्याप्त चारा की व्यवस्था पैरा दान के माध्यम से भी करेंगे ।
कलेक्टर ने भी की अपील, गौठानो में पैरा दान कर निभाए अपनी जिम्मेदारी

कलेक्टर जनमेजय महोबे

इधर रोका छेका अभियान को मुकम्मल करने के लिए कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने भी सभी ग्रामीणों से यह अपील की है कि गौठानो के सतत संचालन में सभी की भागीदारी होनी चाहिए। इस अभियान से हर किसान को जुड़ना चाहिए जिस पैरा को किसान फसल कटाई के समय खेत में बेवजह जला देते हैं उस पैरा को वह इस गौठान में दान कर सकते हैं ताकि उन पैरा से उनके ही मवेशियों का पेट भर सके और मवेशियों को उन्हें भटकने के लिए ना छोड़ना पड़े अक्सर चारा पानी की पूर्ति न कर पाने के कारण ही किसान या कोई भी व्यक्ति अपने घर के मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं जो फिर भटकते रहते हैं या फिर सड़क पर बैठे रहते हैं तो कभी खेत या बाड़ियों में पहुंचकर दूसरों की फसल को भी नुकसान पहुंचा देते हैं। इस स्थिति से निपटने व सुधार के लिए ही यह रोका छेका  अभियान की शुरुआत की गई है जिसमें सभी ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के पशुपालकों की भी भागीदारी बहुत जरूरी है।