कोविड-19 के प्रभाव से बच्चों की सुरक्षा व मीडिया की भूमिका पर जूम एप के जरिए हुई यूनिसेफ व मीडिया के बीच डेढ़ घंटे तक वीसी कॉन्फ्रेंस,dainikbalodnews.com भी बना सहभागी

अलग-अलग जिलों से 42 पत्रकारों के साथ हुई चर्चा
यूनिसेफ के स्पीकर सहित विशेषज्ञों ने कहा कोरोनावायरस के इस संकट में पत्रकारिता को सकारात्मकता की ओर ले जाना होगा तो फेक न्यूज़ में भी मीडिया को सच्चाई सामने लानी होगी

बालोद/ रायपुर। देश की राष्ट्रीय स्तर की संस्था यूनिसेफ नई दिल्ली द्वारा बुधवार को सुबह 11:30 से बजे से जूम एप वीडियो कॉल के जरिए छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्र के 42 पत्रकारों से कॉन्फ्रेंस कॉल पर चर्चा की गई। इस दौरान कोविड-19 के प्रभाव से बच्चों की सुरक्षा व मीडिया की भूमिका पर विशेष पर चर्चा हुई। यूनिसेफ के पदाधिकारियों ने मीडिया को इस कोरोना के संकट में अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाने की अपील की गई। इस संकट के दौरान बच्चों को हो रही परेशानी को सामने लाने व उनका समाधान ढूंढने प्रयास करने कहा गया यूनिसेफ के स्पीकर सैम बंडी, नई दिल्ली के एक इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर डॉ सर्वेश दत्त सहित अन्य अधिकारियों ने आपदा के दौरान मीडिया की भूमिका पर विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि समय पर और तथ्यात्मक जानकारी के साथ जनता को सूचित करना मीडिया का प्रमुख काम है। वही सभी मीडिया के साथियों को कहा गया कि वह फेक न्यूज़ का पूरी तरह से विरोध करें। अगर कोई फेक न्यूज़ वायरल हो रही है उसकी सच्चाई का पता लगाएं और सच्चाई सामने लाएं। कोरोना के इस संकट में फेक न्यूज़ उसकी विभीषिका को बढ़ा देती है। स्पीकर सैम सहित विशेषज्ञों ने मीडिया को राय दी कि वह इस संकट में सकारात्मक समाचारों की ओर ज्यादा ध्यान दें ना कि नकारात्मकता की ओर। ताकि लोगों का हौसला बढ़े । वे कोरोना से डरे नहीं बल्कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए तैयार रहें।

dainikbalodnews.com ने ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था पर उठाया सवाल
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान dainikbalodnews.com ने भी बच्चों की वर्तमान कोरोनावायरस में ठप हुई पढ़ाई व्यवस्था व शासन द्वारा की जा रही ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाया। कहा गया कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा का दावा कर रही है लेकिन अभी भी वनांचल क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या है तो कई बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है तो कहीं शिक्षक भी इस ऑनलाइन क्लास से दूर भागते हैं। ऐसे में इस संकट में बच्चों की पढ़ाई भला कैसे होगी। इस बात को यूनिसेफ के विशेषज्ञों ने भी स्वीकार किया कि इस संकट में ऑनलाइन क्लास की सुविधा हर बच्चों तक पहुंचा पाना बहुत मुश्किल का काम भी है। इसके अलावा बच्चों को कुपोषण से बचाने, उनके शोषण रोकने सहित कोरोनावायरस के संकट में उन्हें में होने वाली परेशानी से निपटने में मीडिया को भी सहयोगी बनने पर चर्चा हुई।


स्लाइड के जरिए बताई गई छत्तीसगढ़ में बच्चों की स्थिति


इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान स्लाइड के जरिए छत्तीसगढ़ में बच्चों की स्थिति को भी बताई गई। राज्य में कुल आबादी का 14.3%( 36 लाख) हिस्सा 0 से 6 साल के आयु वर्ग के बच्चों का है। बस्तर क्षेत्र के 7 जिले में कुल 0 से 6 साल के बच्चों की आबादी है जो की कुल आबादी का 12% है। राज्य की कुल जनसंख्या का 40.5% (1.3 करोड़) बच्चे 0 से 18 वर्ष के हैं। शिशु मृत्यु दर छत्तीसगढ़ में 1000 बच्चों पर 38 है। यह 2016 की सर्वे रिपोर्ट है तो उसी तरह मातृ मृत्यु दर एक लाख में 141 है। राज्य में केवल 22% महिलाएं पूर्ण प्रसव पूर्व देखभाल से गुजरती है।

इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान टीकाकरण, गर्भवती जांच, बच्चों की देखभाल पर भी चर्चा हुई। इस दौरान कॉन्फ्रेंसिंग कॉल में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ रायपुर के विशाल वासवानी, एमसीसीआर के नरेंद्र यादव, रायपुर से डी श्याम कुमार, डिहार सिंह देशमुख, लोक असर के संपादक दरवेश आनंद, देवरी से केशव शर्मा सहित छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्र से 42 पत्रकार साथी भी शामिल रहे।