संस्कृति को सहेजे रखने में Nss का प्रमुख योगदान है कौशल गजेन्द्र
बालोद।
भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना में प्रत्येक शिविर में देश के विभिन्न राज्यों से छात्र छात्राएं सम्मिलित होते है और अपनी राष्ट्रीय धरोहरों के बारे में अध्ययन व अवलोकन करते है। क्षेत्रीय संस्कृति से रूबरू होकर स्वयंसेवक अपनी राज्य का नेतृत्व करते हुए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर में प्रस्तुतियां प्रदर्शित कर सांस्कृतिक आदान प्रदान का कार्य भी करते है। छत्तीसगढ़ के छात्र अपने राज्य के आदिवासी नृत्य, पारंपरिक लोककला कर्मा- ददरिया,बस्तर नृत्य, सुआ, पंथी नृत्य, भटरी पारंपरिककर्मा- ददरिया, अरप पैरी के धार गीत अपने बोली भाषा मे अन्य राज्यो में बिखेर रही हैं। कौशल गजेन्द्र ने राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय व राज्य स्तर के शिविरों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को लेकर अनेक प्रस्तुति किया है। पूर्व गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय युवा उत्सव नया रायपुर,पूर्व गणतंत्र दिवस रांची, राष्ट्रीय युवा उत्साव लखनऊ राष्ट्रीय एकता शिविर अमलेश्वर रायपुर राज्य स्तरीय शिविर डगनिया, राज्य स्तरीय कला प्रशिक्षण खैरागढ़, राज्य स्तरीय स्तरीय योगा शिविर रायपुर में अन्य राज्य,जिला स्तरीय ग्रमीण क्षेत्रोंअपने छत्तीसगढ़ सांस्कृति पस्तुत किया है
हमारी लोककला व संस्कृति में अपनत्व की भावना है इसके संरक्षण के लिए युवाओं को आना होगा सामने : सत्येंद्र साहू
राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित स्वयंसेवक सत्येंद्र साहू ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। राज्य में एक बहुत ही अद्वितीय और जीवंत संस्कृति है। वर्तमान में पश्चिमी प्रभाव के चलते हमारी लोक संस्कृति पर असर पड़ रहा है। जमीन से जुड़ी वह मिट्टी की सुगंध व संस्कृति से सराबोर लोक कला को बचाए रखना हमारी जवाबदारी। इसके लिए हम युवाओं को भी सामने आने कि आवश्यकता है । साथ ही उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती हुई लोक संस्कृति एवं लोक कला के संरक्षण, संवर्धन, उत्थान व उन्हें सम्मान दिलाने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना ने भी समय-समय पर आयोजित विभिन्न स्तरीय शिविरों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों द्वारा अलग-अलग राज्यों में जाकर अपनी लोक संस्कृति को बिखेरते हैं। जिससे दूसरे राज्यों के लोग भी हमारी छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति से रूबरू होते हैं। हमारी लोक कला व संस्कृति में अपनत्व की भावना रहती है। यह हमारे जीवन से जुड़ी हुई है । इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है इसके लिए समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर लोक कला महोत्सव का आयोजन होना चाहिए।