आज 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस पर गर्मी को ध्यान में रखते हुए पशु पक्षियों के लिए दाना पानी के लिए सकोरा मटकी पेड़ों पर बांधे
विगत 14 वर्षों से पशु पक्षियों के लिए दाना पानी का इंतजाम करते आ रहे हैं भोज साहू पर्यावरण प्रेमी
दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।पशु-पक्षी हमारे पर्यावरण को संतुलित करने का काम करते हैं. ऐसी ही एक पक्षी या चिड़िया है गौरैया.अफसोस की आज गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है. इसके विभिन्न कारण हैं. गौरैया का महत्व समझते हुए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. कभी घरों के आंगन में चहचहाने वाली छोटी सी गौरैया चिड़िया अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. विलुप्त हो रही नन्ही सी गौरैया पक्षी को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. साल 2010 से हर साल गौरैया दिवस मनाते हुए लोग गौरैया को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं. लेकिन ये नन्हीं सी पक्षी धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है।
आज है विश्व गौरैया दिवस:
विश्व गौरैया दिवस को पर्यावरण मित्र गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इसके अलावा शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस दिन मनाया जाता है. जानकार बताते हैं कि इन नन्हीं सी चिड़ियों की विलुप्ति का कारण इंसान की बदलती जीवन शैली है।
विलुप्त हो रही हैं गौरैया:
आपने बचपन में अक्सर घरों की मुंडेर और आंगन में चहचहाने और फुदकने वाली छोटी सी चिड़िया गौरैया को दाना चुगते देखा होगा. लेकिन अब यह नन्हीं सी चिड़िया धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. इसका मुख्य कारण शहरीकरण, रासायनिक प्रदूषण और रेडिएशन को माना जा रहा है. पिछले 15 सालों में गौरैया की संख्या में 70 से 80 फीसदी तक की कमी आई है।
भोज साहू पर्यावरण प्रेमी ने कहा कि हमें गौरैया को बचाने के लिए ये है जरूरी बात को ध्यान रखना चाहिए
: आज विश्व गौरैया दिवस के मौके पर जगह-जगह गौरैया पक्षी को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि इस नन्हीं सी चिड़िया को बचाने में अपना अहम योगदान दें और फसलों में पड़ने वाले पेस्टिसाइड की जगह पर ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग करें, लगातार गांव गांव में मोबाइल टावर लग रहा है जिससे निकलने वाले रेडिएशन बहुत ही खतरनाक है जिससे इंसान के साथ-साथ इन पक्षियों को भी बचाया जा सके। गर्मी के दिनों में तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंच रहा है ऐसे में पशु पक्षी के प्यास बुझाने के लिए आंगन छत व चिड़िया के बसावहट जगह पर सकोरा मटकी में दाना पानी धान चांवल रखकर पशु पक्षियों के इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि पशु पक्षियों को आसानी से गर्मी में दाना पानी मिल सकें ।भोज साहू ने बताया कि वे लगातार 14 सालों से पशु पक्षियों के दाना पानी का इंतजाम करते आ रहे हैं।
शासकीय कार्यालयों में बांधा सकोरा मटकी
नगर के शासकीय कार्यालयों जिसमें थाना परिसर, विश्राम गृह, अनुविभागीय अधिकारी आफिस प्रांगण व घर के छतों पर सकोरा मटकी बांधकर पशु पक्षियों के लिए दाना पानी का इंतजाम किया गया इस पहल में विशेष रूप से थाना प्रभारी अवनीश श्रीवास ,पी एल नाग तहसीलदार, विरेंद्र बोरकर,
संजय मुटकुरे,कैलाश पटौती, गजेन्द्र हरिहरनो, संतोष यादव,राकेश साहू , घनश्याम साव वरिष्ठ पत्रकार,भोज साहू पर्यावरण प्रेमी, वृक्षांश साहू सहित अन्य लोग उपस्थित थे।