पर्यावरण दिवस विशेष- क्वॉरेंटाइन सेंटर बरही व कोटगांव में कोरोना के संकट में भी चल रही पर्यावरण बचाने की अनूठी मुहिम

लोगों ने वक्त काटने अपनाया अनूठा तरीका, बिखेर दी स्कूल परिसर में हरियाली, हो रही गर्मी में भी पेड़ पौधों की देखभाल

बालोद/अर्जुन्दा। आज जहां पूरा देश और दुनिया कोरोना के संकट से जूझ रहा है, वहां इस पर्यावरण दिवस पर हम कुछ ऐसे लोगों की बात करेंगे जिन्होंने इस संकट के दौर में भी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ रखी है। खास बात यह है कि जिन लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार के निर्देश पर क्वॉरेंटाइन सेंटर (सरकारी भवनों) में ठहराया गया है वे उस भवन में रहते ही हरियाली बिखेर रहे हैं। बात हो रही है जिले के 2 गांव बरही और कोटगांव की। जहां पर क्वॉरेंटाइन सेंटर में पर्यावरण संरक्षण की पहल की जा रही है। क्वॉरेंटाइन में रहने वाले युवक और ग्रामीण मिलकर वहां पेड़ पौधों की देखभाल कर रहे हैं ताकि इस गर्मी में भी वहां हरियाली बनी रहे और कोई पत्ता तक ना मुरझा पाए। सेंटर से उन्हें बाहर निकलना नहीं होता है इसलिए वक्त गुजारने के लिए पर्यावरण से जुड़ाव जरूरी है, यह सोच कर उन युवाओं ने पहल की जो आज रंग ला रही है और इस तपती गर्मी में जून के महीने में भी उन स्कूलों के परिसर में हरियाली बिखरी हुई है।

पौधों को पानी डालते हैं तो खुद सैनिटाइज भी करतें हैं

बरही स्कूल को वहां रहने वाले लोग ही सैनिटाइज करते हैं

बरही के क्वॉरेंटाइन सेंटर में 9 लोग रह रहे हैं। उनमें शामिल दानेश्वर साहू, पिंटू साहू ने कहा कि वे पुणे से आए हैं। अभी यही दिन गुजार रहे हैं। दोनों ने कहा कि जब हम बाहर थे तो घर से वापस चले जाते थे। इस बार हमें स्कूल में रहने का मौका मिला है। हमने सोचा हम कामगार है, खाली बैठना हमें पसंद नहीं तो जितना हो सके हमने सेवा भाव से स्कूल को सुंदर बनाने का प्रयास किया। इस काम में हमें खुशी भी मिल रही है और हमारे गांव का स्कूल गर्मी में भी हरा भरा है। रोज सभी साथी मिलकर पेड़ पौधों की देखभाल करते हैं। उनमें पानी डालते हैं ताकि गर्मी में कोई भी पौधा ना मुरझा जाए। शाला परिसर में साफ-सफाई भी करते हैं। खुद सैनिटाइज भी करते हैं ताकि किसी भी तरह से संक्रमण का कोई खतरा ना रहे। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बरही में उन्हे ठहराया गया है। जहां सभी ठहरने वाले मिलकर एकजुटता का परिचय देते हुए पर्यावरण संरक्षण की पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। नए आने वाले मजदूरों को भी वे इस काम में जोड़ते हैं ताकि जब उनके 14 दिन पूरे होने के बाद यहां से वे घर चले जाएंगे तो उन पेड़ पौधों की देखभाल पहले की तरह होती रहे।

कोटगांव में भी 25 मजदूरों ने पेश की इको फ्रेंडली की मिसाल

कोटगांव में हरियाली सहेजने काम करते हुए ग्रामीण

अर्जुंदा क्षेत्र के कोटगांव के स्कूल में भी 25 से ज्यादा मजदूर क्वॉरेंटाइन में रह रहे हैं। जहां के मजदूरों ने भी क्वॉरेंटाइन सेंटर में खाली समय में पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया और चंद दिनों में ही अपने स्कूल के गार्डन को संवार दिया। स्कूल प्रबंधन को यह चिंता थी कि गर्मी में स्कूल बंद है, वहां क्वॉरेंटाइन सेंटर में कोई अंदर जा भी नहीं सकता तो पेड़ पौधों की देखभाल कैसी होगी लेकिन उन मजदूरों ने स्वयं से बीड़ा उठाया और इस काम में हाथ बढ़ाकर आज स्कूल परिसर की तस्वीर ही बदल दी। बागवानी में ही उन मजदूरों का दिन गुजर रहा है। उनके खाने रहने का इंतजाम शासन प्रशासन द्वारा किया गया है। सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मजदूर स्कूल परिसर में हरियाली बिखेरने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि गर्मी में स्कूल का गार्डन उजाड़ हो जाता था क्योंकि बच्चे भी छुट्टी के बाद घर चले जाते थे। सीधे 16 जून को स्कूल खुलती थी पर इस बार क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाने के कारण स्कूल खुले हुए हैं वहां बच्चे तो नहीं बाहर से आने वाले लोगों को ठहराया जा रहा है। उन लोगों ने स्वेच्छा से से बागवानी को संभालने का जिम्मा उठाया है और रोज देखभाल कर रहे हैं। वामन साहू ने बताया कि आसपास के कई गांव के लिए कोटगांव के मजदूरों की यह अनूठी पहल प्रेरणा स्रोत साबित हो रही है। उनसे प्रेरित होकर दूसरे गांव के स्कूल में ठहरे हुए लोग भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।