इस वर्ष सावन मास में शिवजी का पुजा अर्चना कितना महत्वपूर्ण हैं, अवश्य पढ़ें हमारे दैनिक बालोद न्यूज में

अंडा। इस श्रावन मास का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अन्तिम दिन रक्षा-बन्धन वाले दिन भी सोमवार हैं। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग हैं।
इसी आस्था में गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम ओटेबन्द श्री विष्णुधाम माह यज्ञ मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ की पुजा अर्चना में आसपास भक्तों का भीड़ लगा होता है ,बाते दी यहाँ प्रतिवर्ष फ़ागुन मास में 11 दिनों का मेला होता है जंहा दूर दूर से लोगों का इस विष्णु धाम मंदिर में आते हैं। इस मंदिर के अध्यक्ष बाबूलाल चन्द्राकर, बिरेन्द्र दिल्लीवार, बबला चन्द्राकर व रोहित चन्द्राकर ने बताया कि सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अतः सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। शिव-शक्ति में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- “शिवेन सह पूजयते शक्ति:सर्व काम फलप्रदा।।” साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है-“यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम।। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान ।।” अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग-व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अतः विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा।


सावन में भगवान शिव की पूजा विधि

सर्वप्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से वर्तमान में व्याप्त वैश्विक महामारी ‘कोरोना’ का अन्त सम्भव है। साथ ही व्यक्ति वर्ष पर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेगा।