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राज्य स्तरीय “गुरु तूझे सलाम” ऑनलाइन कैम्पेनिंग में कांदम्बिनी यादव ने किया बालोद जिले का प्रतिनिधित्व

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लगातार दो बार बच्चो को नेशनल ले जाने वाली मार्गदर्शक शिक्षिका के रूप बना चुकी है पहचान

बालोद। छत्तीसगढ़ शासन, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ई तुंहर दुआर ऑनलाइन पढ़ाई कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार करने व शिक्षकों, बच्चों एवं अभिभावकों द्वारा कार्यक्रम के नियमित उपयोग व ऊर्जावान बनाए रखने के उद्देश्य से गुरू तुझे सलाम अभियान संचालित कर रहा है, जिसमें संकुल से लेकर ब्लॉक, जिले से चयनित होते हुए राज्य स्तर पर अहा मूवमेंट पर अपनी विचार प्रकट करना होता है। गुरू तुझे सलाम अभियान अंतर्गत शिक्षकों के लिए राज्य स्तरीय अभियान की पहली प्रस्तुति बालोद जिले की कांदम्बिनी यादव ने दी। उन्होंने अपनी अहा मूवमेंट पर बात रखी कि वैसे तो मेरे शिक्षकीय जीवन मे बहुत से “अहा मूवमेंट्स” आए  हैं, पर मैं आप के समक्ष सिर्फ दो क्षण को रखने जा रही हूँ, जिस पल ने मुझे नई दिशा प्रदान की और मेरे अंदर ऊर्जा का संचार किया, जिससे मैं बेहतर कार्य करने प्रेरित हुए।  चूँकि मैं साइंस की टीचर हूँ। इसमे विभिन्न प्रतियोगिताए होती रहती है, जिसमे से मेरा जो इंटरेस्ट है, वह “बाल विज्ञान कांग्रेस” के प्रोजेक्ट वर्क में बहुत अधिक रहता है, जिसमें छात्रो के साथ मिल कर प्रोजेक्ट बनाया जाता है। मेरा स्कूल डौन्डीलोहरा विकासखण्ड में है, जो कि ट्राइबल एरिया जैसा ही है, जहाँ बच्चो के पास थोड़ी जानकारी और सुविधाओं का अभाव रहता है । फिर भी मैं लगातार प्रयासरत रही। लेकिन सफलता नही मिल रही थी। शायद हमारी मेहनत में कुछ कमी थी। मेरा प्रोजेक्ट जिला से ही आगे नही जा पाता था। एकात बार मुश्किल से राज्य गया, तब तक मेरे अंदर अपने बच्चों को नेशनल अचीव करने की एक जिद सी आ गए थी। मेरा वह ड्रीम बन गया था। मैं लगातार प्रयास करती रही और आखिर में वो पल  19 नवम्बर 2017 को शाम के 7 बजे को आया, जब हमारा प्रोजेक्ट नेशनल के लिए चयनित हुआ। जब रिजल्ट आता है, तो बच्चो का ही नाम, स्कूल और जिला का नाम आता है, वो पल मेरे जीवन का सबसे अहा मूवमेंट था। मेरे आंखों से आँसू झलक रहे थे, मैं निःशब्द सी हो गए थी । मन में सिर्फ एक ही भाव था, हाँ, हमने कर लिया। इस जीत ने ऐसे ऊर्जा का संचार किया कि अगले साल फिर से हमारा प्रोजेक्ट नेशनल तक गया और उसके बाद फिर राज्य तक। मैं बहुत ही मोटिवेट हुई।  मेरा जिला, मेरे स्कूल, मेरे बच्चो को बहुत प्रोत्साहन मिला और मुझे लगातार दो बार बच्चो को नेशनल ले जाने वाली मार्गदर्शक शिक्षिका की अलग एक नई अपनी पहचान मिली। 

राज्य राज्य स्तर के अफसरों ने लिया नाम, हुआ गर्व

कादम्बनी ने कहा दूसरा जो पल है, वह अभी हाल का ही जो कि हमारे कोरोना महामारी की वैश्विक विपदा की घड़ी में बच्चो के लिए वरदान साबित हो रहे “पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल” की है, जब राज्य से शुरू में इससे कोई भी ऑनलाइन क्लास होता था, तो मैं सीखने के लिए जुड़ी रहती थी । इसी क्रम में 20 अप्रैल 2020 को  राज्य के  शिक्षा मंत्री  भी क्लास में जुड़े हुए थे, क्लास के बाद उनके द्वारा जुड़े शिक्षक और छात्रों से फीडबैक लिया जा रहा था । इसी कड़ी में समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉ एम सुधीश द्वारा मेरा नाम भी लिया गया । उस पल में मैं बहुत बहुत ख़ुश हुई। बार बार मन में यही चलता रहा कि राज्य के अधिकारियों ने मुझ पर विश्वास किया एवं मुझे इसके लिए योग्य समझा और मैं बहुत ज्यादा ही उत्साहित हुई। यह भी मेरे लिए अहा मुवमेंट था और मैने अपने बालोद जिले में ऑनलाइन क्लास भी लिया। पोर्टल के बहुत से फीचर को सीखती गयी और जिला में किसी भी शिक्षक अथवा विद्यार्थियों को समस्या रही, तो सहायता करने की पूरी कोशिश की। मेरे स्कूल में थोड़ी नेटवर्क की समस्या रहती है, फिर भी मेरे स्कूल के कुछ छात्र पोर्टल पर बहुत कुछ कर पाने में सक्षम हो चुके है। बहुत से फीचर से परिचित है। मैने उनको सीखने की हर सम्भव कोशिश की है। ये सिर्फ और सिर्फ उस पहल की वजह से हुआ, जिस पल में मुझपे विश्वास दिखाया। शायद इसलिए मैं अपने आप को आज तक इस काम से जोड़े रख पाई व अच्छे से करने की हर सम्भव कोशिश कर पाई हूँ। मैने क्या-क्या किया, ये तो मेरे जिले के अधिकारीगण ही ज्यादा अच्छे से बतायेगे। इससे मुझे जो कॉम्पलिमेंट मिला कि मैंने बालोद जिले का प्रतिनिधित्व किया जो कि मेरे लिए गौरव की बात थी ।
शिक्षा मंत्री भी बोले गुरुओं की कृपा से मैं भी आज मंत्री हूं


इस कार्यक्रम में उपस्थित स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी के अनुभव सुना, आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। शिक्षा के क्षेत्र में गुरूओ का बहुत महत्व होता है। गुरू जैसा चाहे, शिक्षा को आगे बढ़ा सकता है। उन्होंने अपने स्कूली जीवन की एक घटना को याद करते हुए कहा कि कैसे उनके गुरूओ ने उनकी दिशा बदल दिया और आज अगर मैं मंत्री हूँ, तो इसमें मेरे गुरूओ की कृपा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सब अपने बचपन की ओर लौटे है। ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होते रहना चाहिए। जिससे शिक्षकों के प्रतिभा व अध्ययन अध्यापन के नई नई तरीकों को जानने का अवसर मिलता है। यह अभियान बहुत ही सराहनीय है।

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