बालोद। बेटियां अब हर राह पर बेटों की तरह कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है चाहे कोई भी क्षेत्र हो, वह अपना लोहा मनवा ही लेती है। चाहे सुख की घड़ी हो या दुख की बेला। समाज की सोच भी अब धीरे-धीरे बदलने लगी है। इस समाज में कुछ ऐसे लोग भी रहते हैं जो बेटी बेटा में फर्क नहीं करते हैं, ऐसे ही अपनी बेटियों को बेटों की तरह बड़े नाजों के साथ पालने वाले पिता झम्मन लाल साहू निवासी पीपरछेड़ी की मौत झरने में बहने से पिछले दिनों कांकेर में हुई थी तो उनकी तीन बेटियों ने उनका अंतिम संस्कार कर एक बेटे का फर्ज निभाया।
बड़ी बेटी नेहा, निकिता व निहारिका तीनों बहनों ने गुरुवार को अपने पिता के पार्थिव शरीर को कंधा दिया फिर मुक्तिधाम पहुंचने के बाद मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया। रोते बिलखते बेटियां यही कह रही थी कि पापा अगले जन्म भी मुझे आप ही मिलना और मुझे आपकी ही बेटी बनना है।
बेटियों ने कहा कि उनके पिता ने कभी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। बेटियों को ही पूरा प्यार मिला, कभी उनके साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ ना कभी बेटा होने की लालसा पिता ने पाली। तीन बेटियों के साथ खुशियों से भरा परिवार था पर ना जाने एक छोटी सी चूक ने उनकी जिंदगी को इस मोड़ पर ले आई मानो रविवार के दिन का वह पिकनिक पिता के जिंदगी का आखरी दिन ही बन गया।
अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए कांकेर के जलप्रपात पहुंचे झम्मन की वापसी नहीं हो सकी घर लौटा तो सिर्फ पार्थिव शरीर। इस दर्दनाक हादसे के बाद पूरा गांव भी रो पड़ा। आंसुओं की धारा उस वक्त और रुक नहीं पाई ,जब लोगों ने देखा कि जवान बेटियों के कंधे पर बाप का शव नजर आया। लेकिन बेझिझक अपने दिल पर पत्थर रखकर बेटियों ने अपना फर्ज निभाया और समाज को भी एक पॉजिटिव संदेश दिया कि सोच बदलिए, दुनिया बदल जाएगी, हौसला रखिए फिर से खुशियां लौट आएगी ,,,,,,,,।
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