दीपक यादव,बालोद। डौंडी ब्लाक के वनांचल क्षेत्र ग्राम सुरडोंगर में शिक्षा व्यवस्था को कायम रखने के लिए यहां के हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक ओमन मार्कण्डेय जिन बच्चों के पास स्मार्ट मोबाइल नहीं है, नेटवर्क या नेट की समस्या रहती है उन बच्चों को सुविधा देने के लिए उन्होंने गांव के मंच पर पढ़ाने की मुहिम शुरू की है। लेकिन इस मुहिम की खासियत यह है कि वे जब बच्चों को मंच पर पढ़ाते हैं तो उनकी ऑनलाइन कक्षा भी नहीं थमती है बल्कि दोनों एक साथ चलती रहती है। ऑफलाइन पढ़ाई के दौरान ही वे मोबाइल स्टैंड बनाकर अपने मोबाइल से बच्चों को ऑनलाइन जोड़ते हैं।
जो बच्चे घर में है वह ऑनलाइन मोबाइल से पढ़ाई करते हैं। जो बच्चे सामने बैठे हैं वो ऑफलाइन पढ़ते हैं। शिक्षक ने इस तरह का प्रयोग वहां के हालातों को देखते हुए किया। क्योंकि यहां सघन जंगल है। अगर जरा सी भी हवा चलती है तो बिजली गुल हो जाती है। मोबाइल चार्जिंग की भी समस्या होती है। नेटवर्क की दिक्कत है। कई बच्चों के पास मोबाइल नहीं है। जिससे वे ऑनलाइन कक्षा से वंचित हो जाते थे। इसलिए उन्होंने जीव विज्ञान की पढ़ाई के लिए कबाड़ से जुगाड़ कर उन्होंने एक जगह पर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है।
ऑन ऑफ पढ़ाई गुरुजी
इस तस्वीर को देखकर हम भी कह सकते हैं कि शिक्षक चाहे जिस किसी भी विपरीत हालातों में हो, बच्चों के प्रति हमेशा पॉजिटिव रहते हैं। वे कोरोना में भी पढ़ाई को महत्व दे रहे हैं। क्योंकि इस तरीके से ऑफलाइन, ऑनलाइन दोनों पढ़ाई जारी है। इसलिए शिक्षक ने इस अभियान को ऑन ऑफ पढ़ाई गुरु जी नाम दिया है। जो अपने आप में एक अभिनव पहल है।
सुरडोंगर के नवाचारी शिक्षक ओमन मार्कण्डेय ने ” ऑन ऑफ़ पढ़ई गुरुजी ” नाम से कक्षा 9 वी विज्ञान एवं 12 वी जीवविज्ञान विषय के विद्यार्थियों को ग्राम के मंच में पालको एवं ग्रामीणों के स्वैच्छिक सहमति से पढ़ा रहें हैं।
ज्ञात हो कि अभी स्कूलों के खुलने में हो रही देरी को दृष्टिगत रखते हुए ऑन ऑफ़ पढ़ई गुरुजी के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पढ़ाई से लाभान्वित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन और ऑफलाइन पद्धति के संयुक्त तकनीक को आपस में एक साथ मिलाकर एक ही समय व एक ही स्थान में दोंनो तरीको से पढ़ाई करने वाले बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा गया है। शासन द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के सभी सुरक्षा मानकों का उपयोग करते हुए पढ़ाई कराया जा रहा है।
इस तरह से होता है मूल्यांकन
छात्र मूल्यांकन के लिए छात्रों को कक्षा एवं गृह कार्य देकर उसका मूल्यांकन स्वयं उसी छात्र द्वारा अपनी स्वयं की कॉपी को शिक्षक के मार्गदर्शन में जाँच किया जाता हैं ताकि संक्रमण से बचा जा सके। इस काम में सरपंच कोमेश कोर्राम, शाला विकास समिति के अध्यक्ष सुखचैन ठाकुर, नकूल विश्वकर्मा,घासीराम ध्रुवे, शिक्षक कन्हैयालाल विश्वकर्मा ने पढ़ाई हेतु स्थान प्रदान कर व पालको से समन्वय स्थापित किया।
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