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Exclusive- सिस्टम की लाचारी ने ले ली मासूम की जान- पहली बार बनी मां, दूसरे दिन ही हो गई बच्चे की मौत, जिले में भी नहीं हो पाया इलाज तो राजनांदगांव ले गए, रिफर के दौरान देर रात टूट गई सांसे

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दीपक यादव,बालोद। जिले के ग्राम गोड़पाल में एक मार्मिक घटना हुई है। जहां पर शादी के वर्षों बाद एक पत्नी मां बनी लेकिन मां बनने की खुशी शायद भगवान को भी रास ना आई और 2 दिन के भीतर ही उसकी गोद सुनी हो गई। एक नेताम दंपति की गोद से कैसे मासूम चल बसा यह घटना उस सिस्टम को भी झकझोर कर रख देता है जिसकी लाचारी के चलते एक मां से नवजात बच्चा छिन गया। दरअसल में नेताम दंपत्ति को पहला बच्चा हुआ था। उनकी पत्नी को प्रसव के लिए दल्ली राजहरा के शहीद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। प्रसव के दौरान डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे के मुंह में गंदा पानी चला गया है जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। जहां बच्चा ठीक नहीं हो पाएगा इसलिए इसे जिला अस्पताल ले जाओ। डॉक्टरों की बात स्वीकार करके बच्चे को पिता सहित अन्य परिजन उसे जिला अस्पताल के शिशु गहन चिकित्सा इकाई ले आए। यहां भी बच्चे को भर्ती करके रखा गया लेकिन फिर कह दिया गया कि यहां इलाज मुमकिन नहीं हो पाएगा। इसे और बड़े अस्पताल ले जाओ। थक हार कर पिता अपने बच्चे को एंबुलेंस में राजनांदगांव ले गया। राजनांदगांव जाने के बाद देर रात तक इलाज ना कर वहां भी डॉक्टर यह कहने लगे कि यहां बच्चों को रखने के लिए आइसोलेशन वार्ड नहीं है। इसे रायपुर शिफ्ट करना पड़ेगा। डॉक्टरों की ओर से इलाज में देरी की गई तो वही व्यवस्था न होने की बात कह कर लापरवाही भी दिखाई गई। लगातार बच्चे की तबीयत बिगड़ती जा रही थी। देखते देखते बच्चे की सांसे भी थमने लगी। तंग आकर देर रात को बच्चे को रायपुर शिफ्ट करने की तैयारी कर ही रहे थे कि बच्चे ने दम तोड़ दिया और लाचार सिस्टम को एक आईना भी दिखा दे गया कि कैसे यहां पर मासूमों की मौत हो जाती है।

पिता ने कहा कि सिस्टम की लाचारी ने उनके बेटे की जान ले ली


हम देर रात को अधिकारियों व राजनांदगांव के अस्पताल प्रबंधन से विनती करते रहे कि अस्पताल में बच्चे की इलाज की पूरी व्यवस्था करवा दो। वरना पता चले कि हम रायपुर ले गए और वहां भी इसका इलाज ना हो पाए तो क्या फायदा। वह डॉक्टरों से निवेदन करता रहा कि रायपुर फोन लगाकर पूछे कि वहां इसका इलाज हो पाएगा या नहीं। लेकिन डॉक्टर और कर्मचारी यह कहते रहे कि हमारा दूसरे अस्पताल से कोई कांटेक्ट नहीं है। हम कुछ नहीं बता सकते। रिफर करने को मजबूर पिता के सामने ही उनके नवजात बेटे ने दम तोड़ दिया।

मां को नहीं खबर कि उसकी खुशियां लूट गई है


इधर प्रसव के बाद से मां की हालत भी नाजुक बनी हुई है। प्रसव के बाद उसे शहीद अस्पताल में ही भर्ती करवाया गया है, उन्हें परिजनों ने इस बात की खबर नहीं होने दी है कि उसकी मां बनने की खुशियां अब लुट गई है। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद बेटे को खिलाने की खुशी में मां इंतजार कर रही है कि कब वह घर पहुंचे और बेटे के साथ अपना दिन गुजारे लेकिन इधर उन परिजनों के पास कोई जवाब नहीं है कि आखिर जब वह मां पूछेगी मेरा बेटा कहां है तो वह क्या बोलेंगे। मां की हालत बिगड़ ना जाए इसलिए उनसे सच छुपाया जा रहा है।

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