बालोद। प्रायोजक नाबार्ड के जरिए किसान उत्पादक समिति (एफपीओ) यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाकर अरौद, सांकरी व मोंगरी के 460 किसान 2016 से काम कर रहे हैं। जो कि सामूहिक रूप से खेतीबाड़ी करते हैं और समिति के तहत अलग-अलग फसल उगा कर संयुक्त आमदनी भी लेते हैं। वर्तमान में किसानों द्वारा बैगन, टमाटर और भिंडी की खेती की जा रही है। बहुत जल्द ये किसान अब दाल का कारोबार शुरू करेंगे। समिति के सीईओ भूपेंद्र साहू ने दैनिक बालोद न्यूज़ डॉट कॉम को बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र की पहल से इस समिति में दाल प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना भी की जा रही है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अनुदान योजना के तहत समिति को दाल प्रोसेसिंग मशीन प्राप्त हो चुकी है।
इसके बाद सभी किसान अब अन्य किसानों से खड़ी उपज खरीदेंगे फिर उक्त खड़ी उपज को कुटवा कर समिति के किसान दाल की पैकेजिंग करेंगे फिर इसे मार्केट दर पर बेचेंगे और किसानो की इससे अपनी ब्रांडिंग होगी। प्राइवेट कंपनियों से दाल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिले में जिले के किसानों द्वारा उत्पादित दाल ही बिकेगी।
वेबीनार से भी जुड़ रहे किसान, वीडियो कॉल से करते हैं बात
खेती के लिए प्रशिक्षण लेने किसान हाईटेक तकनीक भी अपना रहे हैं। बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रायपुर के साथ साग सब्जी उत्पादक समिति के किसानों का केसीसी एवं फसल बीमा पर एक वेबीनार हुआ। इस कोरोना काल में प्रशिक्षण या फिर मीटिंग नहीं हो पा रहा इसलिए डिजिटल तरीके से पहली बार किसानों ने मोबाइल से मीटिंग की। वीडियो कॉल के जरिए छत्तीसगढ़ के अलग-अलग किसान जिले के किसान आरबीआई रायपुर से जुड़े हुए थे। इस वेबीनार में बालोद जिले के अरौद के किसान उत्पादक समिति के 12 किसानों ने भी भाग लिया। इसके अलावा डीडीएम दुर्ग मिलियोर बारा, एलडीएम दुर्ग अशोक सिंग, आरबीआई से अमितेश सिंग, एसआईआरडी से संतोष खरे, समिति के सीईओ भूपेंद्र साहू, अध्यक्ष अशोक यादव व अन्य किसान जुड़े हुए थे। इस वीडियो कॉलिंग के दौरान किसानों को केसीसी और फसल बीमा को लेकर जागरूक किया गया। किसानों को प्रेरित किया गया कि फसल बीमा जरूर करवानी चाहिए। कब इसका लाभ मिल जाए कोई ठिकाना नहीं रहता है। क्योंकि कभी भी फसल पर किसी भी तरह की आपदा आ जाती है। अगर हम बीमा कराएं रहते हैं तो इसका लाभ मिलता है। एक बार बीमा कराने का लाभ आने वाले साल तक कई बार मिलता रहता है। अफसरों ने किसानों को कहा कि 2% ब्याज पर अब हर बैंक से किसानों को केसीसी दिया जा सकता है। बैंक इसके लिए तत्पर है। किसान इसका लाभ उठा सकते हैं। इस वेबीनार में अध्यक्ष, सीईओ के अलावा उपाध्यक्ष रूमलाल निषाद, सदस्य ओम प्रकाश यादव, ईकेश्वर यादव, विष्णु यादव, धनीराम साहू, तुलसी यादव, ओम प्रकाश भुआर्य, गुमान सिंह भुआर्य,कल्याण रावटे, रोमन मंडावी, राजेश तारम भी शामिल थे।
खुद की चलाते हैं सोसायटी
ज्ञात हो कि 12 महीने मौसम आधारित सब्जियों की खेती करके किसान आमदनी अर्जित कर रहे हैं तो इसके अलावा स्वयं की सोसाइटी भी चला रहे हैं। जिसमें किसानों को कम दर पर खाद बीज दवाई उपलब्ध करवाते हैं और खुद डायरेक्ट कंपनियों से डीलिंग करके अपने लिए निर्धारित रेट पर खाद बीज दवाई खरीदते हैं। इससे बिचौलियों का भी कोई रोल नहीं होता। सही कीमत पर किसानों को खाद, बीज, दवाई मिल जाती है। दूसरे किसानों को भी यह किसान विक्रेता बनकर दवाई बेचते हैं। यहां से उत्पादित सब्जियां बालोद मंडी में नीलाम होती है। फिर यह सब्जी छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों तक पहुंचती है।
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