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Exclusive- हलषष्ठी विशेष- मां ने सड़क किनारे पैदा होते ही फेंक दिया था जिस बच्ची को उसे 10 दिन की तपस्या कर प्रशासन ने दी नई जिंदगी, अब फुल रूपी बेटी ना मुरझाए इसलिए कुसुम नाम रख कर रहे दीर्घायु की कामना, पढ़िए दिल छू लेनी वाली सच्ची कहानी,,,

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पिछले हफ्ते इस हाल में मिली थी बच्ची

दीपक यादव,बालोद। आज हलषष्ठी है यह व्रत माताएं अपने उन बच्चों के लिए रखती है, जिन्हें वे जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं। काफी दर्द सह कर जिन्हें वे इस दुनिया में लाते हैं और इस दुनिया में लाने के बाद भी उनकी दीर्घायु की कामना लिए माताएं यह व्रत रखती है।@ दैनिक बालोद न्यूज़@ इस खास दिन पर प्रशासन के उन लोगों की मेहनत और तत्परता को एक व्रत व तपस्या के रूप में ही पेश कर रहे हैं, जिनकी वजह से एक नवजात बच्ची को नई जिंदगी मिल गई। माता तो कभी कुमाता नहीं होती लेकिन ऐसी क्या मजबूरी थी कि इस बच्ची को पैदा होने के बाद सड़क किनारे फेंक कर कोई चला गया था।

गनीमत समय रहते लोगों की नजर इस बच्ची पर पड़ी । पूरे 10 दिन की मशक्कत के बाद इस बेटी को नई जिंदगी मिली है। आज यह बेटी अब सुरक्षित है। पिछले हफ्ते की ही बात है। बालोद के गुरूर ब्लॉक में बालोदगहन के पास सड़क किनारे एक होटल के टेबल पर कपड़े में लपेटकर किसी ने नवजात बच्ची को छोड़ दिया था।

रोने की आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण जुटे और विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे। जिन्हें समय रहते प्रशासन के अफसरों ने जिला अस्पताल धमतरी में भर्ती करवाया। जहां जिंदगी और मौत से जूझते हुए यह बेटी आखिर जंग जीत गई और अब पूरी तरह से सुरक्षित है।

नाम रखा “कुसुम” ताकि यह फूल कभी मुरझाए ना

बच्ची के परिजन तो इससे मोह छोड़कर सड़क किनारे छोड़ चले थे लेकिन महिला बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण इकाई, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन की संयुक्त पहल से इस बच्ची को नई जिंदगी मिल गई। बच्ची के स्वस्थ होने के बाद इसे अब विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण केंद्र दुर्ग में रखवाया गया है। बच्ची का नाम अफसरों ने “कुसुम” रखा है। जिसका अर्थ है फूल, पुष्प, सुमन अर्थात इस बेटी को एक फूल की संज्ञा देकर इसे नाम मुरझाने देने का संकल्प लेकर प्रशासन ने इसके आगे की जिंदगी को सुगम करने की योजना बनाई है। आज हलषष्ठी पर इस बेटी को बचाने के लिए जुटे हुए हर अधिकारी कर्मचारी उसकी लंबी आयु की कामना कर रहे हैं। जिस बेटी को पैदा करने वाले ही सड़क पर छोड़ गए थे। कुछ महिला स्टाफ तो अपने बच्चों के साथ इस बेटी के लिए भी हलषष्ठी का व्रत रखें हैं।
इनका रहा योगदान


इस बेटी को नई जिंदगी देने में जिला बालोद के पुलिस विभाग थाना गुरुर , स्वास्थ्य विभाग के विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी ,स्टाफ पुरूर, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण इकाई ,जिला बालोद के अधिकारी व स्टाफ एवं जिला अस्पताल धमतरी के चिकित्सा अधिकारी व स्टाफ के संयुक्त का योगदान रहा।

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