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80 फीसदी दिव्यांग होने के बावजूद अपने दम पर कुछ करने का जुनून,सिर पर दो भाइयों के जिम्मेदारी का बोझ ,पहले गांव गांव जाकर बेचता था चूड़ी और कंगन ई रिक्शा खरीदने के लिए जन सहयोग जुटा रहे हैं पैसे

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दिव्यांगता का फायदा उठाकर चुरा लेते थे चूड़ी कंगन
अब ई रिक्शा से परिवार पालने का जुनून,लोगों से सहयोग मांग कर ई रिक्शा के लिए जुटा रहा पैसे

दैनिक बालोद न्यूज/वामन साहू/अर्जुन्दा। दुनिया में ऐसे कई लोग है जो सही सलामत होने के बावजूद सड़कों पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं लेकिन बालोद जिले के टिकरी गांव के रहने वाले दिव्यांग अनिकेत अपने हौसले से ऐसे भीख मांगने वाले लोगों को चिढ़ा रहा है।

कहते है हौसले के आगे जीत है

उस बात को साबित भी कर रहा है टिकरी गांव का रहने वाला अनिकेत। जिन्होंने अपने हौसले और सपने के आगे अपनी दिव्यांगता को आड़े आने नहीं दिया।

बचपन से ही दिव्यांग है अनिकेत

अनिकेत बचपन से ही दिव्यांग है। जन्म लेने के बाद तीन सालों तक तो वह बिस्तर से उठ नहीं पाया। फिर चौथे साल में घसीटकर चलने लगा। फिर भी परिजनों ने हार नहीं मानी और उसका इलाज करवाया तब कहीं जाकर वह सात साल की उम्र में अपने पैर पर खड़ा हुआ।

चूड़ियां कंगन बेचने से होने लगा नुकसान,पहले अनिकेत गांव गांव जाकर चूड़ियां और कंगन बेचता था। लेकिन अनिकेत की दिव्यांगता का फायदा उठाकर कई लोग उनसे चूड़ियां और कंगन लेकर उन्हें पैसे नहीं देते थे तो कई लोग उनके समान की चोरी कर लेते थे। अब बेचने के लिए लाए गए चूड़ी और कंगन घर में रखा है और व्यापारी उन्हें पैसे के लिए परेशान कर रहे है।

एक साल से दूर रहते हैं पिता

अनिकेत के पिता पहले उनके साथ रहते थे लेकिन एक साल पहले उन्हें छोड़कर दूसरी जगह चले गए। परिवार में अनिकेत की मां और दो छोटे भाई है। मां घर मे सिलाई कर परिवार के लिए दो पैसे कमाती है। लेकिन माँ की कमाई परिवार चलाने के लिए काफी नहीं है।

ई रिक्शा चलाने का लिया फैसला

अनिकेत शुरुआत से परिवार की जिम्मेदारी समझी लेकिन चूड़ी कंगन के व्यवसाय ने उनका साथ नहीं दिया। जिसके उसने ई रिक्शा चलाने का फैसला लिया। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वह ई रिक्शा ले सके। उन्होंने प्रशासन के पास भी ई रिक्शा के लिए मदद की गुहार लगाई लेकिन लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसलिए अपने पास रखे बैटरी चलित सायकल से लोगों के पास जाकर सहयोग मांग रहे है, ताकि वह ई रिक्शा लेकर अपने परिवार को पाल सके।

पैंपलेट दिखाकर मांगते हैं सहयोग

सहयोग के लिए उन्होंने बकायदा एक पैंपलेट बनाया है जिसे लोगों को दिखाते है। जिसके बाद लोग अपने अनुसार उन्हें सहयोग देते हैं और सहयोग की राशि को सहयोग देने वाले व्यक्ति के नाम सहित अपने पास रखे रजिस्टर में दर्ज करते है।

बखूबी चला लेते हैं ट्राइसाईकल

भले ही अनिकेत को चलने और बोलने में थोड़ी परेशानी जरूर होती है लेकिन उनके हौसले के सामने वो परेशानी फीकी पड़ गई। गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने उन्हें एक बैटरी चलित ट्राइसाइकिल दिया लेकिन वह सायकल उनके रोजगार के लिए काफी नहीं है।

नहीं मिलता पेंशन

अब परिजनों ने भी शासन प्रशासन से उम्मीद छोड़ दी कि उनके बेटे को शासन की योजनाओ का कभी लाभ मिल पायेगा और दिव्यांग पेंशन भी नहीं मिलेगा। जिसके चलते अब उनकी मां अनिकेत का हौसला बढ़ाने के लिए उनके काम मे हाथ बटा रहे हैं।

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