28 फरवरी तक शत प्रतिशत फायलेरिया की दवाई खिलाने का है लक्ष्य
दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति समुदाय को जागरूक करने के लिए और लोगों को इस बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए पूरे देश में 11 नवम्बर को ‘‘राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस’’ मनाया गया । इस दिवस के उद्देश्य को सार्थक करने के लिए और फाइलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु जन-प्रतिनिधियों, अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों और समुदाय को साथ लेकर फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
इस कार्यक्रम को शुभारंभ टिकेश साहू अध्यक्ष जनपद पंचायत ए के पुसाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ,पी एल नाग तहसीलदार व डां रागिनी चंद्रे खंड चिकित्सा अधिकारी के द्वारा किया गया
फाइलेरिया या हाथी पांव स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन के प्रति राज्य पूरी तरह प्रतिबद्ध है और फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जा रहे हैं।
डां रागिनी चंद्रे खंड चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि
फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। इससे बचाव के लिए सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त में दवा दी जा रही है। फाइलेरिया मुक्ति अभियान में कार्यक्रम की सफलता के लिए मितानिन, आंगनबाड़ी एवं प्रशिक्षित वॉलेंटियर को लगाया गया है जो घर-घर जाकर दो वर्ष के ऊपर के सभी लोगों को दवा की खुराक देंगे। उन्होंने फाइलेरिया से बचाव के लिए सोने के समय मच्छरदानी का प्रयोग करने एवं घर के आसपास साफ-सफाई रखने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने बताया कि घरों के इर्द-गिर्द गंदगी रहने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है जिससे कई प्रकार की संक्रामक बीमारी फैलती है।
ए के पुसाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने बताया कि
फाइलेरिया से मुक्ति काफी आवश्यक है और इसका एक ही माध्यम है, डीईसी की एक गोली। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मुक्ति अभियान को घर-घर तक लेकर जाएं ताकि इस अभियान से एक भी व्यक्ति ना छूटे। उन्होंने कहा कि डीईसी की गोली पूरी तरह सुरक्षित है। इस गोली को ख़ाली पेट नहीं खाना चाहिए। इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी मरीज में अगर कोई साइड इफेक्ट होता है तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस कार्यक्रम में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार डीईसी और अल्बंडाज़ोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने खिलाई जा रही है।
उक्त कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर
डां अमन साहू ,राकेश कुर्रे बीपीएम, राकेश निर्मलकर,भोज कुमार साहू, सावित्री मंडावी,रोमन सिन्हा,विशाल खत्री, किशोर साहू सहित अस्पताल अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
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