शिवजी के 10 महाव्रत में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व -संत राम बालक दास
दैनिक बालोद न्यूज।आज शिव महापुराण कथा में संत श्री ने उमा संहिता के अंतर्गत भगवान शिव जी के किरात स्वरूप के बारे में विस्तार से बताया , जब पांडवों को बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ तो यह निश्चित हो गया था कि आने वाले समय में भीषण युद्ध करना पड़ेगा। इसलिए युद्ध के तैयारी के लिए भगवान शिव जी को प्रसन्न कर वरदान के साथ दिव्यास्त्र प्राप्त करना था।यह सब भगवान श्री कृष्ण जी के मार्गदर्शन में हुआ इसके लिए अर्जुन को शिव जी की तपस्या करने को भेजा गया अर्जुन के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी किरात अर्थात् शिकारी का वेष धारण करके दर्शन दिए , शिव जी कर्पूर के समान गौर वर्ण के है , हाथ में त्रिशूल व डमरू,गले में नाग विराजमान हैं कानों में कुण्डल,कमर में व्याघ्र चर्म शोभायमान हो रहे हैं। इस वेश-भूषा के अनुसार अर्जुन भगवान शिव जी के स्तुति करने लगे।तब भगवान शंकर ने उन्हें वर मांगने को कहा।साथ ही पाशुपति आदि दिव्यास्त्र प्रदान कर कहा कि श्री हनुमान जी उनके रथ के पताका पर विराजमान रहेंगे। भगवान श्री कृष्ण उनके रथ के सारथी होंगे। कथा के विश्राम बेला पर संत श्री ने बताया कि आगामी 16 अगस्त को 1 महीने के अनुष्ठान का समापन होगा और उसी दिन हवन इत्यादि और भंडारा का आयोजन रहेगा।
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