बालोद। जिले के शक्कर कारखाना करकाभाट में उस वक्त विवाद की स्थिति निर्मित हो गई जब यहां के गेस्ट हाउस में क्वॉरेंटाइन पर रहने वाले चीफ इंजीनियर केके शाक्य को खाना पहुंचाने का यूनियन ने विरोध कर दिया। दरअसल में कुछ दिन पहले ही यूपी के मैनपुर से अपने मूल निवास से चीफ इंजीनियर केके शाक्य लौटे हैं। जिन्हें रायपुर एयरपोर्ट से सीधे कार के जरिए गेस्ट हाउस पहुंचाया गया। जहां उन्हें 5 जुलाई से क्वारंटाइन किया गया है। पहले उनका रसोईया ईश्वर साहू उनके लिए गेस्ट हाउस में ही रह कर खाना बनाता था लेकिन यूनियन ने उन्हें अब खाना बनाने से मना कर दिया है। ईश्वर को कहा गया है कि अगर खाना बनाओगे तो वही अलग कमरे में क्वॉरेंटाइन में ही रहना, बाहर मत आना लेकिन ईश्वर ने इस बात से इनकार कर दिया और यूनियन भी उन्हें खाना पहुंचा कर देने से मना कर दिया तो वही चीफ इंजीनियर ने यूनियन के लोगों पर आरोप लगा दिया कि वे उन्हें खाने को लेकर मोहताज कर रहे हैं। जबकि क्वॉरेंटाइन में रहने वाले लोगों को बाहर से खाना दिया जा सकता है। यूनियन का कहना था कि चीफ इंजीनियर साहब छोटे छोटे काम के लिए अन्य कर्मचारियों को भी गेस्ट हाउस में बुला रहे थे, वे बाहर से आए हैं इसलिए कर्मचारियों ने सुरक्षा के लिहाज से उनसे दूरी बनानी उचित समझी और उन्हें कहा गया कि गेस्ट हाउस के छोटे-छोटे काम आप स्वयं करिए। पर बात नहीं बनी और विवाद की स्थिति निर्मित हो गई मामले की जानकारी लगने पर पुलिस भी सुबह यूनियन व इंजीनियर के बीच सुलह कराने के लिए पहुंची।
कलेक्टर व एमडी से भी शिकायत
चीफ इंजीनियर का कहना है कि उन्हें खाना ही नहीं लेने दिया जा रहा है। कैंटीन से भी उनके लिए खाना पहुंचाने की कोई सुविधा नहीं है। ना ही रसोईया को उनके गेस्ट हाउस में खाना पहुंचाने दिया जा रहा है। चीफ इंजीनियर ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर, एमडी सहित स्वास्थ विभाग व पुलिस के अफसरों से भी की है। उन्होंने यूनियन के कुछ लोगों पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। कहा है कि कोरोना काल में भी वे शक्कर कारखाना में काम शुरू करवाने के लिए प्रबंधक के आदेश पर ही वापस अपने मूल निवास से कुछ दिन पहले कारखाना पहुंचे हैं। वे शासन के नियमों के तहत क्वॉरेंटाइन में ही रहना चाहते हैं लेकिन उन्हें खाने को लेकर मोहताज किया जा रहा है जो कि सही नहीं है। जबकि क्वॉरेंटाइन में रहने वालों को खाना उपलब्ध करवाना भी प्रशासन का जिम्मा होता है या कोई भी व्यक्ति बाहर से खाना छोड़ कर जा सकते हैं लेकिन यहां यूनियन द्वारा मेरे रसोईया को दबाव बनाकर खाना बनाने से मना करवा दिया गया है तो उन्हें खाना भिजवाने से भी मना किया जा रहा है।
क्या कहते हैं बोर्ड अध्यक्ष
शक्कर कारखाना बोर्ड के अध्यक्ष बल्दु राम साहू का भी कहना है कि यूनियन के कुछ लोग मनमानी कर रहे हैं। जिसके चलते सुबह विवाद की स्थिति निर्मित हो गई और पुलिस भी बुलानी पड़ी जबकि क्वॉरेंटाइन में रहने वालों को खाने की सुविधा दी जाती है। बाहर से खाना भी उपलब्ध करवाया जा सकता है लेकिन यूनियन के लोग इसका विरोध कर रहे हैं और इंजीनियर को परेशान किया जा रहा है जबकि कारखाना शुरू करवाने के लिए प्रारंभिक काम के हिसाब से उन्हें यूपी से बुलाया गया है और वे क्वॉरेंटाइन में ही हैं।
इधर यूनियन के नेताओं का यह है तर्क
यूनियन के नेताओं का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से यह व्यवस्था बनाई जा रही है। रसोईया को कहा गया था कि वह उसी गेस्ट हाउस में एक कमरे में रहकर उन्हीं के साथ क्वारंटाइन में रहे और खाना बनाएं लेकिन रसोईया वहां गेस्ट हाउस में ही जाकर खाना बनाता है फिर बाहर अपने घर भी आता है। कारखाने में भी आता जाता है अगर कहीं रिपोर्ट पॉजिटिव आई या कुछ हुआ तो ऐसे में संक्रमण का दायरा बढ़ सकता है। इस लिहाज से रसोईया को वहीं पर इंजीनियर के साथ ही क्वॉरेंटाइन में रहकर खाना बनाने कहा जा रहा है। यूनियन के नेताओं ने रसोईया पर दबाव बनाने की बात से इनकार किया।
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