बालोद। लगभग 15 साल पहले बालोद ब्लॉक के ग्राम जगन्नाथपुर के बांध स्थित शिव मंदिर को 12 वी शताब्दी के होने के कारण राज्य शासन के पुरातत्व विभाग ने राज्य स्मारक घोषित किया है। यहां पर बकायदा पुरातत्व विभाग से संबंधित संरक्षण का बोर्ड भी लगाया गया है लेकिन विभाग ने बोर्ड लगाकर महज औपचारिकता पूरी की थी।
जिसके चलते इस प्राचीन शिव मंदिर का अस्तित्व संकट में आ गया। और तो और मंदिर की देखरेख भी ना होने के चलते यहां वीरानी छाई रही। इस बदहाली को देखकर पंचायत प्रशासन ने भी तय किया कि हम इस स्मारक को नष्ट नहीं होने देंगे और इसका हर संभव संरक्षण करेंगे। इस प्रण के साथ पंचायत प्रशासन व ग्रामीणों ने मिलकर काम शुरू कर दिया है। यहां के युवा सरपंच अरुण साहू के नेतृत्व में स्मारक को संवारने का पहल किया जा रहा है। तालाब के किनारे सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो गया है।
लगेगा भव्य गेट, आसपास होगी गार्डनिंग
सरपंच ने बताया कि यह पुरातत्विक स्थल है लेकिन इसका संरक्षण नहीं हो रहा था। विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया इसलिए पंचायत प्रशासन व कुछ लोगों के सहयोग से हम इसे संवारने का प्रयास कर रहें हैं। बारिश में आसपास की मिट्टी के कटाव ना हो इसलिए पत्थरों के जरिए वाल का निर्माण किया जा रहा है तो यहां बैठने के लिए भी इंतजाम होगा गार्डनिंग भी आसपास होगी जिससे इस जगह का लुक बदले तो सामने मंदिर के सामने सड़क किनारे एक भव्य गेट भी लगाया जाएगा। जिस पर हर हर महादेव लिखा होगा।
जनपद व विभाग नहीं देती ध्यान
ये मंदिर बांधा तालाब में है, जिसे मछली पालन के लिए लीज में देने का काम जनपद पंचायत प्रशासन की ओर से होता है जिसके जरिए लाखों की कमाई करने के बाद भी जनपद पंचायत द्वारा इसका कोई संरक्षण नहीं किया जा रहा है वहीं जिला प्रशासन से यह मांग की जाती है कि एक बार कम से कम कलेक्टर यहां आकर देखें और स्थिति का जायजा लेकर इस जगह को संवारने में प्रशासनिक योगदान दिया जाए। जब बालोद जिला बना तो जिला प्रशासन के पुरातत्व समिति ने इस जगह का सर्वे भी किया था लेकिन सिर्फ योजना बनी काम कुछ नहीं हुआ।
झुकने लगा है मंदिर, नीव कमजोर
ग्रामीण जनक साहू, वेदांत कुमार ने बताया कि शासन प्रशासन व पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते स्मारक दिनों दिन झुकने लगा है। इसकी नींव कमजोर होने लगी है। ऐसे में कभी भी इसके गिरने का डर भी सता रहा है क्योंकि उक्त स्मारक विभाग का है इसलिए पंचायत सीधे उसे कोई संरक्षण का काम नहीं कर सकती। उसके आसपास ही संरक्षण करने का काम किया जा रहा है पर विभाग है कि यहां झांकने तक को भी नहीं आता है। जिसके चलते इस मंदिर की दुर्दशा होने लगी है। नीचे पिचिंग भी उखड़ चुके हैं जहां दरारें पड़ी हुई है। सुरक्षा ना होने के चलते यह मंदिर असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन रहा था इसी को देखते हुए पंचायत प्रशासन ने फैसला किया कि इसकी विरानी दूर करेंगे और इस जगह को इस तरह से सजाएंगे कि यहां राह चलते लोग भी एक बार देखने के लिए जरूर रुके।
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