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आज महाशिवरात्रि पर्व ,आओ जाने भोलेनाथ जी के पूजा विधि की जानकारी पढ़ें दैनिक बालोद न्यूज

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इस दिन पूजा करना का विशेष फलदायी

दैनिक बालोद न्यूज/डेस्क।वैसे तो इस दिन मंदिर जाकर पूजन करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन यदि आप नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही पूजन करें.

महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण क्यों ?

ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है. गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है. आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है. उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है. उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है. इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं .

पूजा सामग्री

भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. पजून करें और अंत में आरती करें.

महाशिवरात्रि पूजा मान्यताएं

मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन.

महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.

दीप और कर्पूर जलाएं.

पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.

शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.

शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.

होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.

सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.

इस कारण से शिव को नहीं चढ़ाते हैं तुलसी

शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था. जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपरामहशत नहीं कर सकता है. लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा. अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था.इसी वजह से तुलसी का प्रयोग शिव पूजा करने की मनाही है

प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि

सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें…

भगवान शिव को ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र

कहते हैं कि शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.

महाशिवरात्रि पुजा में कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र का है अत्यंत महत्व

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक तंगी या धन की कमी के निजात मिलती है। इसके अलावा कहा जाता है कि अगर एक लाख की संख्या में इन पुष्पों को शिवजी को अर्पित किया जाए, तो सभी पापों का नाश होता है।

यह है शिव मंत्र

‘ओम अघोराय नम:।।

ओम तत्पुरूषाय नम:।।

ओम ईशानाय नम:।।

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’

पूजन मुहूर्त

आइए जानते हैं इस दिन चार पहर की पूजा का समय

महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक

महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक

महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक

महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक

व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am

महाशिवरात्रि पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

ये है मान्यता

मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है समन।

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