खनिज, राजस्व व पुलिस अमले को झांकने की फुर्सत नहीं
दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव।प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश भर में अवैध रूप से खनिज पदार्थों के उत्खनन पर अंकुश लगाये जाने संबंधी निर्देश के बाद भी नगर सहित आसपास इस निर्देश और आदेश का कोई असर नजर नहीं आ रहा है। अभी भी अनेक जगहों पर बेरोकटोक अवैध उत्खनन का खेल चल रहा है। अभी तक इस ओर खनिज, राजस्व या फिर पुलिस अमले ने झांकने की फुर्सत नहीं निकाली है। वहीं यह भी पता चला है कि कुछ माह पहले दर्री एनीकट के करीब एक रेत माफिया द्वारा भंडारित कर रखा गया लगभग 13 माजदा रेत, जिसे शिकायत के बाद शासन के नुमांइदों द्वारा जप्त किया गया था, उसे उसी रेत माफिया ने गायब कर बेच दिये जाने की खबर है।
बता दें कि खनिज विभाग सहित राजस्व और पुलिस विभाग की अनदेखी के कारण
पहले की तरह ही अभी भी अंचल के नदी नालों से रोज अवैध रूप से रेत का परिवहन हो रहा है। यहां कहीं भी मुख्यमंत्री के निर्देश या आदेश का असर नजर नहीं आ रहा है। दिन में न सही लेकिन रात के अंधकार में और तडक़े अंचल के ग्राम सुखरी, अर्जुनी, बघमार, खुज्जी, बरगांव, मटिया, सांकरदाहरा, लक्ष्मणभरदा, रातापायली, दर्री, बेन्दरकटा, गनेरी, मनेरी, भटगुना, जामसरार, बरसनटोला सहित शिवनाथ तथा घुमरिया नदी के किनारों से रोज अवैध रेत का उत्खनन जारी है। वहीं क्षेत्र में मुरूम का अवैध उत्खनन की शिकायतें मिल रही है।
ऐसा लगता है कि क्षेत्र में चल रहे अवैध रेत, मुरूम खदानों को संबंधित विभागों की खुली छूट मिली हुई है और उनके लिए प्रदेश के मुखिया का फरमान भी कोई मायने नहीं रखता। उत्खनन माफियाओं द्वारा अभी भी रात के अंधेरे में तथा तडक़े अवैध उत्खनन के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।
जप्त रेत को बेच दिया गया
क्षेत्र में रेत माफियाओं की पूरी तरह से दादागिरी चल रही है। उनके सामने राजस्व विभाग तथा खनिज विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी पंगु नजर आ रहे हैं। बताया जाता है कि कुछ महिने पहिले समीपस्थ दर्री एनीकट के समीप एक रेतमाफिया का डंप किया हुआ रेत बड़ी मात्रा में जप्त किया गया था। बकायदा उसका पंचनामा तैयार किया गया था।
लेकिन अब पता चला है कि कई ढेरियों में एकत्रित रेत को किसी रेत माफिया द्वारा बेच दिया गया है। इस मामले में मटिया में एक लम्बे समय से अवैध उत्खनन का कार्य करने वाले कथित खनन माफिया का नाम लिया जा रहा है। इस मामले में राजस्व विभाग को जानकारी होने के बाद क्योंकर चुप्पी साध ली गई, यह समझ से परे है। कुछ लोग तो दबी जुबान से इसे राजस्व विभाग के साथ उक्त कथित खनन माफिया की सेटिंग भी बता रहे हैं।
बड़भूम से अवैध मुरूम उत्खनन का मामला भी ठंडे बस्ते में
समीपस्थ ग्राम बड़भूम से गांव के कुछ रसूखदार लोगों की मदद से निकाले गये हजारों ट्रिप अवैध मुरूम उत्खनन मामले का क्या हुआ, इसकी भी जानकारी आज तक सामने नहीं आई। जबकि, उक्त मामले में सत्ताधारी दल के दबंग और प्रभावशाली विधायक स्वयं मौके पर पहुंचे थे और जांच की बात कही थी। जबकि, जनपद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने भी दबिश देकर अवैध उत्खनन के विरूद्ध आवाज बुलंद की थी। वहां हुये अवैध उत्खनन का मामला कई दिनों तक सूर्खियों में भी बना रहा था।
अंचल में कांग्रेस – भाजपा की चल रही जुगलबंदी
अवैध उत्खनन के मामले में एक – दूसरे के घोर विरोधी माने जाने वाले कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की एकदूसरे से मिलीभगत और जुगलबंदी जगजाहिर है। इसलिए चाहकर भी संबंधित विभागों द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है। बताया जाता है कि चाहे वह रेत का मामला हो, मुरूम का मामला हो, या फिर अन्य गौण खनिज पदार्थों के उत्खनन और आवागमन का, अंदरूनीस्तर पर एक दूसरे के सहयोग से ही चल रहा है और शासन को राजस्व का जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
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