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मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान ,आपके क्षेत्र में मानसिक रोगी घूमते पाए जाने पर ,उसकी मद्दद कैसे करें-रोहित मालेकर साइबर एक्सपर्ट

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दैनिक बालोद न्यूज।दोस्तो आपने अपने आस पास के इलाके में अक्सर मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों को घूमते देखा होगा आज हमारे बालोद जिले के साइबर एक्सपर्ट रोहित मालेकर निरीक्षक के द्वारा जानकारी में बताया है कि यह लेख उन मानसिक रोगियों के लिए है ,जो किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त अपने परिवार से बेघर होते है ।मानसिक रोगियों की देखभाल एवम सुरक्षा को लेकर वर्ष 1987 में कानून लाया गया था , 2017 में नए संसाधनों के साथ नया मेंटल हेल्थ केयर एक्ट आया। मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल ,उनके मानव अधिकारो की सुरक्षा ही इस कानून का मंशा है ।

मानसिक बीमारी से ग्रस्त बेघर व्यक्तियों की आमजन पुलिस थाने में शिकायत करते है ,की अमुक व्यक्ति मानसिक रोगी है और लंबे समय से क्षेत्र में घूम रहा है ,कार्यवाही करें।
मानसिक बीमार व्यक्तियों के मानव अधिकार की सुरक्षा ,स्वास्थ ,देखभाल की जिम्मेवारी हम आम नागरिको की भी होती है ।

कैसे करें मदद

क्षेत्र में ऐसे मानसिक बीमार व्यक्ति के पाए जाने पर मानसिक रोगी के परिवार का पता कर उनको सूचना दी जा सकती है।व्यक्ति यदि सामान्य हालात में है ,उसके घर परिवार का पता नही चल पाया है ,तो क्षेत्र के पटेल ,कोटवार ,सरपंच ,पार्षद ,या कोई भी आम नागरिक द्वारा उस व्यक्ति को उचित इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जा सकता है।


यदि मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति ,स्वयं को नुकसान पहुंचा सकता है ,अथवा अन्य नागरिक को नुकसान पहुंचा रहा है

जैसे पत्थर मारना डंडे मरना ,किसी के घर मे घूस जाना आदि स्थिति निर्मित हो रही हो तो ,पुलिस को सूचना दी जा कर उसे नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जाना चाहिए। जहां से मेडिकल ऑफिसर के रिफर करने पर मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति को राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय भेजा जा सकता है।


मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 1987 के प्रावधानों के तहत

मानसिक अस्वस्थ व्यक्ति से किसी को हानि की अशंका पर सेशन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर,न्यायालय के आदेश पर्यन्त उच्च चिकित्सा केंद्र भेजा जाता था ,वर्ष 2017 में इस एक्ट में नए प्रवधान लाये गए है ,जिसके तहत मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति को उनके परिवार के सदस्य ही मेडिकल ऑफिसर से रिफर कराकर राज्य मानसिक चिकित्सालय ले जा सकते है। यहाँ पुलिस को सूचना देने की आवश्यकता नही होती है।

ऐसे मानसिक रोगी जिनके वारिसान (परिवार) का पता नही चल रहा हो और ,उसके व्यवहार से आमजन को हानि की आशंका होने पर पुलिस में रिपोर्ट कर ,उसे न्यायालय के समक्ष पेश कर , न्यायालय के आदेश से उसे उचित इलाज देखभाल और सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है।

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